Page 16 - Cafe-Social-June-2021
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य द हम अपनी पु लस के
इ तहास क तरफ देख तो वो “बुराई श हीन है अगर अ ाई बेखौफ है।"
भी अपने आप म का बले
-रा प त रोना र गन”
तार फ है। हदं काल म
ू
इ तहास म "दंडधार ' श
एक ओर पु लस स नाग रक के लए सुर ा कवच है, वह
का उ ेख आता है। उस
दसर ओर अपरा धय के त हमार
ू
काल के "दंडधार "को
पु लस को कढ़ा ख अ यार
वत मान काल के "पु लस"
करना पड़ता है। जससे अपरा धय
जन के समक माना जा
म भय बना रहे । अपराधी अपराध
ू
सकता है।दसरे श म
करने से पूव द मलने के भय से
पु लस श भारतवष म
सौ बार सोचे, जो वो करने जा रहा है
पु लस शासन के वकास का
उ चत है या नही । पु लस के कढ़े
पय य माना जा सकता है।
ख के कारण ही समाज मे
चोर ,डकै ती,ह ा,बला ार,दंगे आ द जैसे अपराध पर नयं ण
बड़ी दलच बात है,के ाचीन भारत का ानीय शासन
हो पाता है ।इस कार हमार पु लस का समाज मे श त
ामीण पंचायत पर आधा रत था।ग व के ाय शासन संबंधी
व ा, अपराध पर नयं ण रखने का िकरदार अतुलनीय एवम
काय " ा मक" नामी एक अ धकार ारा संचा लत िकये जाते
अ त ही है।
थे।और इ ी अ धका रय ारा अपराध क रोकथाम के काय
सुचा प से िकया जाता था। जनके संर ण म जनता महफू ज
""गुणगान ा क ँ गुण से भरपूर है!
रहती थी तथा नभ य होकर अपने ापार एवं उधोग का संचालन
पु लस समाज क र क, को हनूर है!""
करती थी।
जी ह पु लस को को हनूर जैसा चमकता हआ हीरा कहा जा
ु
"खाक महफू ज रखती है अपने ज के ह सल से !
सकता है, िक-
कु छ इस तरह से नभाती है भू मका समाज के घ सल म ! "
पु लस है तो दन का चैन, रात क न द बरकरार है,
पु लस है तो समाज और सामा जक वहार है!
यह ""घ सल "" से ता य पु लस क समाज के अंदर नभाई
पु लस है तो हर सुर त आशावान है,
जाने वाली भू मका से है, जस कार सरहद के लए फौज
तैनात होती है उसी कार पु लस पु लस है तो कायम हर चेहरे क मु ान है!
हमारे समाज को सुर त रखने के
लये हर-पल,हर-समय तैनात है। नमन है मेरे देश के सपा हय को जो बना शकन के नरंतर
देश के अंदर क सुर ा एवं कानून अपने कत का नव हन करते रहते ह । देश क अखंडता-
व ा क देख रेख पु लस बड़ी एकता एवं सम य ािपत करने म अहम भू मका नभाते है।
सजकता से करती है । जह िकसी 'नमन' है ऐसे सपा हय को जो फज के लए अपनी जान
भी कार के अपराध को रोकने के ौछावर करने से भी नही चूकते।
लए पु लस अपना अहम कत
नभाती है।वह आम नाग रक के कै फ़े सोशल, खाक के अतुलनीय योगदान के लए उनको
बचाव के लए अहम िकरदार भी नभाती है। य द पु लस न होती तहे दल से णाम करता है
तो शायद देश एवं समाज मे कानून का पालन करना मु ल ही
नही वरन अस व ही होता, साथ ही रा शासन क सुर ा
"वतन-ए-वद खाक को हजार सलाम!
क क ना तक नही क जा सकती थी।
वतन के रखवाल को हजार सलाम!"
16 JUNE 2021