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म खुद दंग रह गया था जब मुझ ेपता चला िक अ ण क उ सफ २१
वष थी, ऐसे महान यो ा को मेरा सलाम"
होनहार वरवान के होत चकने पात
१४ अ ूबर १९५० को अ ण का ज पूना म सेना म
गेिडयर रहे ी एम एल खे पाल के घर म हआ था। परमवीर अ ण
ु
के घर म सेना म जाने क पुरानी परंपरा थी। वो खुद अपने प रवार क
चौथी पीढ़ का सद थे। बचपन से ही सेना म जाने क ठान ली थी।
अ ण बचपन से ही पढ़ाई और खेलकू द दोन म ही अ ल थे और
से ोफोन म महारथ क वजह से अपने ू ल के ब ड का भी ह ा
था। १९६७ म अ ण ने रा ीय र ा अकादमी (National
Defence Academy) म वेश लया, िफर वह स े भारतीय सेना
यु म जाने से पहले जब वो अपनी म ीमती माहे र
अकादमी (Indian Army Academy) म वेश िकया। सेना के
खे पाल से मले तो उनक म ने उनसे कहा " तु ारे दादाजी एक
क ठन श ण के बाद उनको पूना हॉस म शा मल िकया गया और
ु
बहादर सै नक थे और तु ारे िपताजी भी। जाओ एक शेर क तरह
वह परमवीर कन ल तारापोर के तेल च को देख उ ने अपने
अपनी मातृभू म के लए अंत तक लड़ना जब तक िक वजय ा ना
अफसर और सा थय से कहा, " आप लोग देखना पूना हॉस से अगला
हो जाये " और परमवीर अ ण ने अपनी म के श को च रताथ
परमवीर च म ही लेके आऊं गा" ऐसा लगता था जैसे उनक ज ा
करते हए ना के वल म भारती के लए वजय ा क ब उसके
ु
पर यं म सर ती बैठ थी और अ ण को ये वैभव देने के लए ठान
लए अपने ाण क आह त भी दे दी।
ु
चुक थी। अ ण के पूना हॉस म शा मल होने के कु छ दन म ही भारत
पाक के बीच यु के बादल छाने लगे और पूना हॉस को प मी मोच जनक ब ह बलमयी ललाट अ ण है
पर जाने के लए तैयार रहने को कहा गया। लेिकन जाने वाले सै नको भा मनी वही त णी, नर वही त ण है
म अ ण का नाम नह था िक उनका तकनीक श ण पूरा नह
है वही ेम जसक तरँग उ ल है
हआ था और सेना के नयम के अनुसार उसको यु के लए नह भेजा
ु
वा णी धार म म त जह गरल है
सा सकता था। पर ु अ ण मोच पर जाने क जद पकड़ कर बैठे रहे
और अपने सब अफसर से वनती करते करते वो अंततः अपने
ये अ ण का अपने वतन के लए ेम और द न के लए
ु
कम िडगं अफसर ी हनुत सहं के पास पहंचे और आँख म आंसू भर
ु
गरल ही था जसने उनका नाम इ तहास म अमर कर दया। सेना ने
बोले "सर मुझे यु म जाना है और उसके लए मुझे जो कु छ भी करना
भी अपने इस वीर के स ान म रा ीय र ा अकादमी के सभागार को
पड़ेगा म क ँ गा"
परमवीर अ ण के नाम पर िकया है ।और उनके टक फं गू ा
(“Famgusta') को अहमदनगर आम ू ल म सरं त रखा गया
ी हनुत सहं ने उसके ढ़ न य को देखा कहा " बेटे
है।
अभी तु ारा टक का श ण पूरा नह हआ तुम कै से जा सकते
ु
हो? " अ ण ने कहा " सर! म जाऊं गा म अपना श ण पूरा
शहीद हए सेक ड ले न ट अ ण खे पाल को मरणोपर त
ु
कर लूंगा" आ य से भरे ी हनुत सहं ने कहा " ा तुम तीन
परमवीर च से स ा नत िकया गया।
महीने का श ण कु छ दन म पूरा कर पाओगे? "
"जी ह " अ ण न ेउ र दया और िफर शु हई अ ण क अ पर ा म भारती के इस शेर दल शहीद सपूत को कै फे
ु
जसे उसने हँसते हँसते उ ीण कर ली और उसको पूना हॉस के साथ सोशल क तरफ से कोिट कोिट नमन।
जाने क इजाजत मल गयी ।
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