Page 35 - Cafe-Social-June-2021
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इनबुक
रा भाषा हदं ी
Inbook’s Wall तयो गता 2020
का स ान
वशेष पुर ार
वजेता क वता
पलायन ता का मह
पलायन कहाँ का, कस तरफ का, आज युवा ह ै घोर नराश, घेर े ह ै उनको अवसाद
सुबह े से शाम और रात, देख युवाओ ंको च तत,
याद आता ह ै मुझे अतीत
पलायन च ँ ओर,
खाने से, जीवन जीने का पलायन, जब भी होता मन उदास,
पीढ़ीय को बचाने का पलायन, चले जाते थे कृ त के पास
लगता तो बुरा पलायन, उगता सूरज आस देता,
आसमान व ास देता
ह े मा भू म ये 'पलायन’
मन के घाव ह े गहर,े
खेला वो आंगन,
धो देती सागर क लहरे
बचपन,जवानी आ गयी,
कु छ पाने क चाह लये, देख के भवर े ततली फू ल,
हम जाते सब च ता भूल
ये जवानी भी ,अब
पव त झरने और ह रयाली,
शमा ने लगी,
दर ू कर देते थे हर बीमारी
अब होगा, 'पलायन '
ले कन अब वो बात कहां,
ये मुम कन था,
वो जुगनू वाली रात कहां
शहर से आये ह,ै दर ू वाले 'चचा'
अब दन म भी अंधेरा ह,ै
अपनी मातृभू म से वदा, जो होना था,
हम सब को धुएं ने घेरा है
कचर े के अंबार लगे ह,ै
- हमे च
ा क के पहाड़ खड़े है
मन म च ता ओर वषाद ह,ै
ये वकास ह ै या वनाश है
आओ मलकर हाथ बढ़ाए
धरा को गंदगी मु बनाए
चलो छता को अपनाए
और जीवन को सुखद बनाए
गोपी ईनाणी, देवास
JUNE 2021 35