Generalमेरी कलम से

मेरी कलम से – हे राम

जब जब सुनी पढ़ी या देखी
कथा तुम्हारी हमने हे राम
विव्हल हृदय नतमस्तक हो
झुक जाता चरणों में राम

वर्षों नयन भिगोए हमने,
जब तुम वन वन भटके राम
टूट गए थे तार हृदय की
बिछड़े जब परिजन से राम
रटते रटते जीवन बीता
नहीं पा सका तुमको राम
चेतन रथ पर हो सवार तुम
मुक्तिधाम के पोषक राम
हे मर्यादा पुरुषोत्तम ,जाना
भगवन कैसे बनते हैं ,राम
विपद घड़ी के वज्रघात में
तुम्हें डिगा न पाया कोई राम
जब जब कथा,,,,,,,,,

स्वार्थ जगाया था कैकई ने
रात निशाचर बन गई राम
राज्याभिषेक की बेला में
ये भोर तमिस्रा लाई राम
विचलित है क्यों तात् ,जान
तत्क्षण निर्णय ले डाला राम
वचन तात का टूट न पाए
ना दुविधा उन्हें सताए राम
यही सोच कर नि:शंकित हो
शिरोधार्य की आज्ञा राम
जब जब कथा,,,,,,,,

राग द्वैष और मोह त्यागकर
वन को निकल ग ए तुम राम
तुम विराग के साथ ही जन्मे
राग कहां था तुमको राम
भय भी जिनसे भय खाते हों
वन का भय क्या तुमको राम
तजकर वस्त्राभूषण क्षण में
हो गए तुम वनवासी राम
जन-जन में छाया विषाद
हर ईट महल की रोई राम,
जब जब कथा,,,,,,,,,

भगिनी सीता संग चल पड़ीं
भाई लखन संग पग- पग राम
सन्नाटा पसरा नगरी में
विस्मृत प्रजा भयंकर राम
कांप उठा पितु का सिंहासन
मां कौशल्या मूर्छित हुई राम
नज़र लगी या कर्मयोग था
तुम भगवन,सब जानो राम
कल तक थी जो फूल बिछाए
उसके मन क्यों खटके राम
जब जब कथा,,,,,,

जाने कितनी विपदओं को
वन में झेला तुमने राम
किंचित भी विचलित होते
तुम्हें न देखा किसी ने राम
रावण की भी क्रूर कथा
लंका जीत मिटाई राम,
सतत् साधना तप निर्मोह
गुणों से स्वर्ग सिधारे राम
घर घर पुजने लगे राम जी
विष्णु अवतार कहाए राम,
जब जब कथा,,,,,,,,

पुनरुत्थान हुआ मंदिर का
जैसे वन से तुम लौटे राम
धन्य हुई नगरी अयोध्या
तुम्हें प्रतिष्ठित करके राम
राम राज साकार हुआ अब
जब राज मोदी आया राम
अडिग इरादों वाले ने
फिर मंदिर बनवाया राम
देख लगन श्रद्धा भक्तों की
तुमने आने की ठानी राम
जब जब कथा,,,,,,,

भूमि अयोध्या की रज में
चरण कमल की छाप है राम
शबरी बनकर नयन बिछाए
एक दर्शन की आस है राम
पापों की गठरी खुल जाए
प्रभु कृपा आपकी हो राम
जीवन नैया पार लगाने
देख रहा हूं कबसे राह राम
खेवट बनकर पांव पखारूं
और कोई चाह नहीं है राम
जब जब सुनी,,,,,,

दुल्हन सी सज गई अयोध्या
जन जन में हर्ष अपार है राम
दीप श्रृखला जलें अखंडित
घर घर है दीवाली राम
लिख गया स्वर्ण अक्षरों में
इतिहास आज नया है राम
धन्य हो गया नगर अयोध्या
धन्य नयन लख मूर्ति राम
उतर गया है स्वर्ग ज़मीं पर
अब राम राज आएगा राम
गौरव गाथा जन्म भूमि की
विश्व शिखर गाएगा राम
जब जब सुनी,,,,,,,
*

मीना गोदरे ,अवनि
संस्थापक -अवनि सृजन साहित्य एवं कला मंच,इंदौर (मध्यप्रदेश)

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