मेरी कलम से

पर्यावरण – सौजन्य: श्रीमती रश्मिता शर्मा

एक बात को समझो भाई , पर्यावरण  है तो हम है ।अपने आस -पास पेड़ लगाना है ।फाइबर ,प्लास्टिक, पाॅलीथिन काहम…

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अनोखा प्रेम; रोली शुक्ला

है बड़ा अनोखा प्रेम कृष्ण का, वर्षाने की राजकुमारी से

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हिंदी : पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक

हिंदी की अंतर्राष्ट्रीय स्वीकृति बढ़ती रहे, इसके लिए देश में आर्थिक, वैज्ञानिक, सामरिक, राजनीतिक और ज्ञान के स्तर पर जितना अधिक सशक्त कार्य होगा, विश्व फलक…

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बीज क्रांति और आजारी – मदन अग्रवाल

जिस किसी को बीज पहूचाना हो तो इस पते पर पंहुचा देना ????

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मेरी कलम से – नया वर्ष

नया है बरस नई हैं मंजिलें हैं नई राहें अपनी बना लीजिएगा भूत पीछा करे तो हटा दीजिएगा वर्तमान को…

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मेरी कलम से – आँखे

इशारे भी इनके गज़ब जुर्म करते आंखो के पथ से हृदय में उतरते

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मेरी कलम से; रूह – ए – कायनात

सलवटे मलबूस (बिस्तर) की, आँखों में बदन की भूख, क्या सिर्फ टुकड़ा-ए-गोस्त ही थी मैं? शक सुवहा, वासना से मिले…

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मेरी कलम से – बेफ़िक्र, बेबाक़, बिंदास… जज्बात, ख्यालात, अल्फ़ाज़…

जो भटका हूं मैं खुद अपने शौक से, कोई और ज़िंदगी का रास्ता ना दिखाओ मुझे तुम बेतरतीबी में अपनी…

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शाश्वत ज्ञान – श्री मदन अग्रवाल

तेरह कातिक तीन अषाढ़। जो चूका सो गया बजार।।

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शाश्वत ज्ञान – श्री मदन अग्रवाल

इतवार करै धनवन्तरि होय, सोम करै सेवा फल होय।बुध बिहफै सुक्रै भरै बखार, सनि मंगल बीज न आवै द्वार।। भावार्थ-…

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