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हिमशिखरो की ओर साइकिल सवार – विवेक कुमार जैन

विवेक कुमार जैन
उप सचिव उत्तराखंड, शासन देहरादून
हॉबी-ट्रेवलिंग, ट्रैकिंग एंड एक्सप्लोर न्यू डेस्टिनेशन

‘माणा पास या डूंगरी-ला भारत का सबसे ऊंचे (लगभग 18500 फीट) क्षेत्र के मोटर वाहन मार्ग में से एक है। दिनांक 27 सितम्बर, 2022 से प्रारम्भ होने वाली बदरीनाथ से माणा पास एमटीवी चैलेंज 2022 (पहली उच्च हिमालय साइकिल रैली – ऊंचाई 18500 फीट) के लिये हमारे मित्र के माध्यम से सूचना प्राप्त हुयी, जिसमें हम 07 लोगों (श्री विनोद कोठियाल, राजकुमार, सुशील पंवार, ज्योति विजय रावत, सचिन चौहान, दीपक कंडारी और विवेक जैन) द्व तारा प्रतिभाग किये जाने का निर्णय लिया गया। आयोजकों द्वारा इसके लिये रू० 2500 प्रति व्यक्ति की दर से शुल्क निर्धारित किया गया, जिसमें श्री बदरीनाथ में दो दिन भोजन एवं आवासीय सुविधा भी शामिल थी।

बदरीनाथ से माणा पास की दूरी लगभग 60 किमी है। सामान्यतः सिविलियन्स को माणा गांव से ऊपर जाने की अनुमति नहीं है, इसलिये उवत रैली हेतु स्थानीय प्रशासन के साथ सेना की अनुमति आवश्यक होती है, जो आयोजकों द्वारा प्राप्त कर ली गयी थी । उवत यात्रा के लिये स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र की आवश्यकता थी । हम लोगों द्वारा देहरादून में सरकारी अस्पताल में भलीभांति स्वास्थ्य परीक्षण कराने के पश्चात स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र प्राप्त किये गये ।

दिनांक 25 सितम्बर को हम श्री बदरीनाथ के लिये रवाना हुये रात्रि में जोशीमठ में विश्राम लेने के पश्चात् अगले दिन सुबह श्री बदरीनाथ के लिये निकलते हुये 12:00 बजे पहुंच गये थे। रास्ते में पाण्डुकेश्वर में भगवान योगध्यान बदरी के दर्शन किये (जब सर्दियों में बदरीनाथ के कपाट बंद हो जाते हैं तो यहीं श्री बदरीनाथ की पूजा अर्चना की जाती है।)

इस रैली के लिये देश के विभिन्न राज्यों / क्षेत्रों से लगभग 50 लोग पहुंचे थे। दोपहर में रैली से सम्बन्धित सभी औपचारिकतायें पूर्ण की गयी और आयोजनकर्ताओं से साइकिल प्राप्त की गयी। थोड़ी देर विश्राम करने के पश्चात हम लोगों को साइकिल के साथ ही श्री बदरीनाथ मंदिर में पहुंचने के लिये कहा गया, जिसके क्रम में मंदिर पहुंचकर भगवान बदरी विशाल के दर्शन करने के पश्चात वहां के धर्माधिकारियों द्वारा समस्त प्रतिभागियों को आर्शीवचन प्रदान किये गये। शाम को सभी लोगों को एक स्थान पर आमंत्रित किया गया और होने वाली साइकिल रैली और इस दौरान बरतने वाली सतर्कता आदि के बारे में स्पष्ट बताया गया।

सामान्यतः पहाड़ों में मानसून सितम्बर के प्रथम सप्ताह तक रहता है किन्तु इस बार अभी भी बारिश हो रही थी जिससे ऊपरी क्षेत्र में अत्यधि क बर्फबारी एवं मौसम सर्द होने के कारण साइकिल रैली पर कुछ संशय के बादल थे किन्तु भगवान की कृपा से शाम से मौसम साफ हो रहा था। अगले दिन तड़के सुबह 5:00 बजे के करीब भी लोग एक स्थान पर साइकिल एवं प्रॉपर ड्रेस कोड के साथ रैली के लिये एकत्रित हुये। यहां से थोड़ी दूर आगे भारतीय सेना के बैरियर पर सभी लोगों के जरूरी कागजात चैक करके रैली का प्रारंभ किया गया।

इस उच्च हिमालयीन साइकिल रैली के पाँच पड़ाव थे, बदरीनाथ- गस्तोली- रत्ताकोना-जगरांव – देवताल – माणा पास ।
प्रथम पड़ाव लगभग 20 किलोमीटर दूर घस्तोली (ऊंचाई 13365 फीट) था। प्रारंभ में खड़ी चढ़ाई फिर तीव्र ढ़ाल कमबद्ध रुप से कम ऑक्सीजन में साइकिल चलाते हुये एक के बाद एक पहाड़ पार करते जा रहे थे, बीच-बीच में भारतीय सेना द्वारा गुनगुना पानी एवं जूस की व्यवस्था भी की गयी थी, ताकि प्रतिभागियों का शरीर डी-हाइड्रेट न हो और इसी का सेवन करते हुये लगभग प्रातः 10:30 तक एक के बाद एक हम घस्तोली पहुंचते गये जहां गर्मजोशी से आईटीबीपी एवं सेना के द्वारा स्वागत करते हुये स्वल्पाहार कराया गया।

चस्तोली के बाद आगे का सफर में लगातार ऊंचाई वृद्धि होने एवं ऑक्सीजन की कमी के कारण साइकिल से ही यात्रा की अनुमति नहीं दी गयी इसलिये अनुमति प्राप्त गाड़ियों में साइकिल को लादकर हम बफीली चोटियों के बीचो-बीच होते हुये माणा पास की ओर बढ़ चले और फिर रत्तकोना, जगरांव होते हुये देवताल पहुंचे। चारों तरफ सफेद मोटी चादर से ढके ऊंचे पहाड़ों के बीच एक हिमनद झील थी, जिसे देवताल कहते हैं। कहा जाता है कि इस झील में देवता स्नान करने आते हैं। देवताल से ही ज्ञान की देवी सरस्वती नदी का उद्गम होता है इसलिये यह भी मान्यता हैं कि इस ताल का पानी का सेवन से ज्ञान में वृद्धि होती है।

यहां से लगभग कुछ दूरी पर ही भारत और चीन (तिब्बत) का बॉर्डर है, जो इस रैली का आखिरी प्वाइंट था। यहां का मौसम अत्यंत ठंडा एवं तीव्र सर्द हवाओं के कारण ठहरना मुश्किल हो रहा था। सर्दियों में यहाँ का तापमान शून्य से 40 डिग्री तक नीचे चला जाता है, किन्तु यहाँ की मुश्किलों के बावजूद तैनात जवानों का हौसला स्पष्टतः देखा जा सकता है। इन सिविलियन्स की मौजूदगी के कारण हमारे साथ खड़े सैन्य अधिकारी को वायरलेस पर सीमा पार से चीनी सेना की पैट्रोलिंग की सूचना एवं सुरक्षा के दृष्टिकोण से हमें जीरोलाइन / बॉर्डर तक नहीं जाने दिया गया और हमें तुरंत वापस लौटने के लिये कहा गया। फलतः हम वापस चल दिये। वापसी में पुनः घस्तोली पहुंचे। इन इलाकों में अक्सर दोपहर में मौसम तेजी से बदलता है, इसलिये हमने शीघ्रता से सेना के मेस में भोजन किया और इसके बाद पुनः अपनी-अपनी साइकिल से यात्रा करते हुये शाम 5:00 बजे तक श्री बदरीनाथ पहुंचे, जहां इस यात्रा का समापन करते हुये गणमान्य नागरिकों द्वारा प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र वितरित करते हुये पुनः आगमन की अपेक्षा की गयी।

इन सभी लोगों द्वारा इस अद्भुत, विशिष्ट एवं रोमांचकारी यात्रा का अवसर देने के लिये आयोजनकर्ताओं का धन्यवाद ज्ञापित करते हुये सायं बदरीनाथ से जोशीमठ और अगले दिन प्रातः जोशीमठ से प्रस्थान करते हुये शायं को देहरादून पहुंच गये।

इसी तरह भारत में अनेक पर्यटक स्थल हैं जो दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। इन पर्यटक स्थलों में भारतीय संस्कृति, ऐतिहासिक महत्व और नैतिक मूल्यों का विस्तारपूर्वक प्रदर्शन होता है। इन सभी पर्यटक स्थलों को देखकर हमें अपनी संस्कृति और अपने देश के प्रति गर्व हैं।
जय हिन्द

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