मेरी कलम से

मेरी कलम सें – नारी

कुदरत ने भी क्या खूबसूरत चीज बनाई है,
देवी रूप में नारी धरती पर आई है,
हर रूप में नारी खूबसूरत है,
नारी की सुंदरता में चार चांद,
लगाते सोलह श्रृंगार है,
देखकर उसे लगे जैसे,
वो तो ममता की मूरत है,
सचमुच देवी का अवतार है,

मेंहदी, हल्दी, चूड़ी बिंदी से करती जब श्रृंगार है,
आलता भरे पैरों से, छन छन करती, पायल की झंकार है,
सिर्फ नौ दिनों में ही क्यों,
नारी मन में देवी रूप समाई है,
वह तो हर दिन, सम्मान देने योग्य आई है,
कभी कन्या तो कभी बहन,
कभी मां, तो कभी पत्नी,
न जाने कितने रूप है,
नारी के सबकी पहचान अपनी अपनी,

कभी ये अच्छी दोस्त, तो कभी अच्छी सहेली,
तो कभी एक सुलझी हुई पहेली,
रखती सबका ये ख्याल,
बन जाती परिवार की ढाल,
न करो कभी इनका अपमान,
देती तुम्हें जो सम्मान,
कभी ये गुरु बनकर, शिक्षा का पाठ पढ़ाती,
कभी वैध बनकर दवा कराती,
कभी ये स्वादिष्ट भोजन बनाती,
इनके ही द्वारा हम, दुनिया में आए हैं,
कभी ये मकान को घर बनाती, न जाने कितने ही गुण, इनमें समाए हैं,

न मारना न जलाना इन्हें,
मत भूल एक दिन, बेटी को विदा करना है तुम्हें,
जैसी तेरी करनी, वैसा ही फल पाएगा,
तेरा किया तेरे ही संग जाएगा,

सुखी है वो जिसे ये,बात समझ आई,
कुदरत ने भी क्या खूबसूरत चीज बनाई है,
देवी रूप में नारी, धरती पर आई है।

सोनाली कुरारिया

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