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- Satire
व्यंग्य – हमारी बड़ी बहू
हमारी सोच पर ब्रेक लगाते मियाँ भोपाली मुस्कुराये फिर पान की पीक को निगलते गँभीर चेहरा बनाते हमें टोक बैठे."मोहतरमा,ऊ…
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(व्यंग्य) – साहित्य का कैशबैक
मैं क्या करता ,अंत में उन्होंने कहा कि साहित्य के हित मे वो अवार्ड कैंसिल नही करेंगी इसलिये अब कविता…
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व्यंग्य – आज के अंगुलिमाल
आप सोच रहे होंगे तो इसमें इतना सोचने की क्या बात हैं? हमारा भारतीय समाज तो उपहार लेने और देने…
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