Sanjeev Jainकविताएं और कहानियांमेरी कलम से

मेरी कलम सें; रक्षाबंधन – संजीव जैन

राखी का त्योंहार है,ये भाई बहन का प्यार है

भारत के त्योहारों में,ये भाई बहन का त्योहार है

 ये भाई बहन का त्योहार है………

बचपन से ही लड़ते खेलते रहे हमेशा संग है

बचपन की खट्टी मीठी सी यादों के कई रंग है

रेशम के धागों से जुड़ता मन में लिए उमंग है

साल में एक दिन आता है ये राखी का त्योंहार है

 ये भाई बहन का त्योहार है………..

राखी के धागे में बसता ,स्नेह का रंग है

कुछ समय का साथ नहीं जन्मों का संग है

बचपन की यादों की बजती जल तरंग है

बहना को भाई से मिलते यहां कई उपहार है

ये भाई बहन का त्योहार है…………

थाली में रोली अक्षत ले बहन मंगलाचार करें

भाई की उतार आरती मस्तक पे तिलक करें

राखी बांध कर भाई की खुशहाली की कामना करें

स्नेह का यह बंधन और रक्षा का अधिकार है

 ये भाई बहन का त्योहार है…………

भाई कही दूर हो तो बहना का दिल रोता है

बहना से दूर रहकर भाई भी व्याकुल होता है

रह नहीं सकते साथ, एक दिन दूर होना होता है

रहे सदा ही खुश दोनों ,ये दूरी उन्हें स्वीकार है

ये भाई बहन का त्योहार है…… (संजीव जैन)

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