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तुलसी गौड़ा ‘जंगल की इनसाइक्लोपीडिया’

तुलसी गौड़ा जी का ‘ जंगल की इनसाइक्लोपीडिया ‘ यह नाम क्यों पड़ा ? उन्होंने ऐसे कौनसे काम  किए ? वह कहाँ कि निवासी है? यह सारी बाते कुछ लोगों को ज्ञात होगी और कुछ लोगों को नहीं तो आओ जानते हैं तुलसी गौड़ा जी के बारे में।

जैसे आप सभी को पता होगा अभी हाल ही में पद्मश्री पुरस्कार से कुछ लोगों को सम्मानित किया गया उसमें अभिनेत्री, गायक, और भी फिल्म जगत की  कुछ नामचीन हस्तियॉं शामिल थीं। उसी वक्त ८ नवंबर को दिल्ली के राष्ट्रपती भवन में हमारे देश के राष्ट्रपती श्री  रामनाथ कोविंद जी के  हाथों से  तुलसी गौड़ा जी को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस पुरस्कार समारोह में देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह जी उपस्थित थे।

अब जानते है  तुलसी गौड़ा जी के बारे में –इनका जन्म कर्नाटक के होंनल्ली गांव के हलक्की आदिवासी परिवार में हुआ था। तुलसी गौड़ा जी अशिक्षित है, वे कभी स्कूल नहीं गई और उन्हें बचपन से ही पढ़ाई से वंचित रहना पड़ा।  उनके पिता कि मृत्यु के बाद वो अपनी  माता के साथ काम करती थी फिर उनकी शादी ज्यादा उम्र वाले आदमी से करा दी गई और  उनके पति कि भी मृत्यु कुछ समय बाद  हो गई। तुलसी जी अपना अकेला पन दूर करने के लिए पेड़ पौधे लगाने लगी। उनकी एक खास बात है। वे अशिक्षित है उसके बावजूद भी उन्हें  सारे पेड़- पौधों के बारे में सारी चीज़े ज्ञात है। उन्होंने अपने जीवन काल में ३० से ४०,००० पेड़ लगाए और उनकी देख भाल में सारा जीवन गुजार दिया।

उन्हें इससे पहले भी बहुत पुरस्कार मिले हैं, जैसे इंदिरा प्रियदर्शनी वृक्ष्मित्र १९८६ , और कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार और अब पद्मश्री से सम्मानित किया गया ।

इंदिरा प्रियदर्शनी पुरस्कार उनको दिया जाता है जो बंजर जमीन और वनीकरण क्षेत्रों में व्यक्तियों या संस्थानों द्वारा किए गए अग्रणी और अभिनव योगदान को मान्यता देता है। और कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार उन्हें दिया जाता है जो उम्र में ६० से अधिक और अपने-अपने कार्य क्षेत्रों में विशिष्ट है।

तुलसी जी को पद्मश्री मिलने के बाद  उन्होंने यह कहा, कि वे पुरस्कार प्राप्त करके  बहुत खुश हैं, लेकिन वे ” जंगलों और पेड़ो को अधिक महत्व देती हैं ” ।

तो आप सभी को पता चल गया होगा कि वे  कौन हैं । और इसलिए उन्हे ‘ जंगल कि इनसाइक्लोपीडिया ‘ यह नाम दिया  गया और  वे इस नाम से मशहूर है। उन्होंने एक ही बात सिखाई हमें कि  हमारा जीवन निसर्ग के बिना अधूरा है ।

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