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एकांकी एक फौजी की प्रेम कहानी…कर्नल राहुल वर्मा

पात्र :

(1) श्रवण (भारतीय थलसेना का अधिकारी)     (2) रश्मि ( श्रवण की प्रेमिका)      (3) अंशिका (रश्मि के बचपन की सहेली) 

(4) अजय जी ( रश्मि के पिता)                        (5) संध्या देवी (रश्मि की माँ)       (6) राजेश्वर जी (श्रवण के पिता)

रात का समय करीब रात के साढ़े बारह बज रहे थे, रश्मि अपनी सहेली अंशिका के साथ फिल्म देखकर स्कूटी से घर वापस लौट रही थी। रात बहुत होने से सड़क बिल्कुल सुनसान थी।

अंशिका ने कहा अरे यार रश्मि! जल्दी चल बहुत रात हो गई है। 

रश्मि ने जवाब दिया! स्कूटी तो चला रही हूँ, कोई प्लेन तो है नहीं कि उड़ाकर ले जाऊं।

फिर दोनों बिल्कुल ही सुनसान इलाके से गुजर रही होती हैं। 

अचानक गली से तीन चार बाइक पर कुछ लफंगे आ जाते हैं। वो उन दोनों को छेड़ने लगते हैं। 

वो छेड़ते हुए कहते हैं! अरे जानेमन इतनी भी क्या जल्दी है थोड़ा हमसे भी बातें कर लो।

रश्मि डरकर और भी तेज स्कूटी चलाने लगती है। ये देखकर बाइकर्स में से एक रश्मि की स्कूटी में साइड से टक्कर मारता है जिसके कारण स्कूटी असंतुलित होकर सड़क के किनारे गड्ढे में जा गिरती है। बाइकर्स दोनों को घेर लेते हैं और गंदी-गंदी बातें करने लगते हैं और दोनों लड़कियों का हाथ पकड़ लेते हैं।

तभी वहां अचानक किसी ने एक बाइकर के कंधे पर हाथ रखा। बाइकर्स पीछे घूमकर देखते हैं तो वहां एक सैन्य बर्दी में एक हट्टा कट्टा शख्स खड़ा नजर आता है। उनमें से एक बाइकर पूछता है।

तू कौन है से?

वो जवाब देता है क्यों वर्दी से समझ नहीं आया कि फौजी हूँ। 

बाइकर्स ने कहा तो यहां क्या कर रहा है जाकर बॉर्डर पर मर। 

फौजी ने कहा तुम सालो इन लड़कियों के साथ गलत व्यवहार करो और मैं देखता रहूँ। ये तो मैं किसी कीमत पर नहीं होने दूंगा। इनको छोड़ दो।

बाइकर्स भड़क जाते हैं। ऐ फौजी !! अपने काम से काम रख वर्ना मारा जाएगा।

वो फौजी फिर कहता है इनको जाने दो। उन लफंगों में से एक उस फौजी को मारने की कोशिश करता है। फौजी का एक झापड़ लगते ही वो जमीन पर गिरकर चारों खाने चित हो जाता है। फिर सारे बाइकर्स मिलकर उसपर हमला करते हैं पर वो फौजी उनपर भारी पड़ता है जिसके कारण सारे बाइकर्स को मार खाकर भागना पड़ता है। 

अंशिका तो उठकर खड़ी हो जाती है पर रश्मि खड़े होने की कोशिश करती है पर गिर जाती है।

वह दर्द से बेहाल है वो कहती है मेरा पैर बहुत दर्द हो रहा है। तब फौजी उसके पांव को देखता है और कहता है कि लगता है कि आपके पैर में फ्रैक्चर हो गया है। आपकी स्कूटी भी चलने की हालत में नहीं है। फिर वो अचानक रश्मि को अपने हाथों में उठा लेता है और कहता है। चलिए पहले आपको अस्पताल लेकर चलता हूँ।

रश्मि उससे कहती है पागल हो क्या? यहां से सबसे करीबी अस्पताल पांच किलोमीटर दूर है। फौजी ने कहा फिलहाल और कोई ऑप्शन नहीं है। फिर वो रश्मि को गोद में उठाकर पूरे पांच किलोमीटर दौड़ते हुए अस्पताल पहुंचाता है। डॉक्टर तुरंत ही रश्मि का चैकअप करते हैं। एक्स-रे की रिपोर्ट देखने के बाद डॉक्टर ने कहा कि पाव में हल्का फ्रैक्चर है प्लास्टर करना होगा। रश्मि को प्लास्टर के लिए अंदर ले जाया जाता है। रश्मि और अंशिका दोनों का फ़ोन गिरने से टूट चुका था जिसके कारण दोनों के घर में खबर करना मुश्किल हो गया था। शेखर ने अंशिका को अपना फोन देकर कहा कि आप मेरे फोन से अपने घरवालों को खबर कर दीजिए। अंशिका ने उसके फोन से अपने और रश्मि के घरवालों को घटना पूरी जानकारी दी। खबर पाकर उन दोनों के माता-पिता हडबड़ा कर अस्पताल पहुंचे। अंशिका ने उनको सारी बात बताई फिर शेखर को उनसे मिलवा कर बताया कि इन्होंने ही रश्मि को गोद में उठाकर पांच किलोमीटर दौड़ते हुए अस्पताल पहुंचाया है। 

दोनों के माता-पिता श्रवण का आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद करते हैं। फिर श्रवण वहां से अपने घर चला जाता है। 

कुछ दिनों के बाद प्लास्टर कटने के बाद रश्मि और अंशिका खरीदारी करने एक मॉल में जाती है। अचानक अंशिका की नजर श्रवण पर पड़ती है। वो रश्मि को बोलती है! अरे रश्मि वो देख ये तो वही है। रश्मि ने पूछा कौन वही? 

अंशिका बोली वही फौजी जिसने तुम्हें गोद में उठाकर अस्पताल पहुंचाया था। रश्मि और अंशिका जल्दी से श्रवण के पास जाती हैं।

रश्मि ने कहा!!! हैलो सर!! श्रवण ने भी उसे हैलो कहा फिर रश्मि ने कहा आपने मेरे लिए इतना किया पर मैं आपको थैंक्यू भी नहीं बोल पाई।

आज संयोग से हम फिर मिले हैं। थैंक्यू सो मच में आपका एहसान कभी नहीं भूलूंगी। 

श्रवण ने कहा! मैं सेना में कैप्टन हूँ। कोई भी संकट में हो तो उसकी मदद करना हमारा जिम्मेदारी है। फिर दोनों साथ साथ बातें करते-करते मॉल से बाहर आते हैं।

श्रवण ने रश्मि से पूछा क्या आप मेरे साथ कॉफी पीना पसंद करेंगी? 

रश्मि ने कहा! हां जरूर। फिर वो तीनों एक कॉफी शॉप में जाते हैं। ऑर्डर देने के बाद श्रवण ने पूछा अब आपका पैर कैसा है?

रश्मि ने जवाब दिया अब तो बिल्कुल ठीक है फिर वो एक पार्क में बैठते हैं। रश्मि ने पूछा आप कहां पर पोस्टेड हो ? श्रवण ने कहा जम्मू-कश्मीर में मेरी पोस्टिंग खतरनाक आतंकवादियों के गढ़ में है।

अब श्रवण ने पूछा आप क्या करती हो? रश्मि ने बताया में एक आईटी

कंपनी में सॉफ्टवेयर डेवलपर हूँ। जाते जाते श्रवण ने पूछा क्या आप मेरी दोस्त बनना पसंद करेगी? रश्मि ने जवाब दिया ये तो मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। 

फिर वो करीब रोज ही मिलने लगे। उन दोनों को ही एक दूसरे से मिलना अच्छा लगने लगा था। यूं ही समय बीता श्रवण की छुट्टियां खत्म होने वाली थीं। उसने रश्मि से कहा ये वक्त कब खत्म हो गया पता ही नहीं चला।

अब दोनों एक दूसरे को आप की जगह तुम बुलाने लगे थे। 

श्रवण ने कहा मेरी छुट्टी खत्म हो रही है अब मुझे फिर से अपनी रेजीमेंट को ज्वाइन करना है।

ये सुनकर रश्मि दुखी हो गई उसने श्रवण से पूछा कुछ और दिन नहीं रुक सकते। 

श्रवण ने कहा नहीं स्वीटहार्ट ये नामुमकिन है मुझे हर हाल में जाना ही होगा।

जाने के दिन रेलवे स्टेशन पर रश्मि श्रवण से मिलने आती है उसकी आंखें गीली थी और आवाज में उदासी ने डेरा जमाया हुआ था।

वो श्रवण को एक साइड में ले जाती है और गले लगकर फूट फूट कर रौती है उसने पूछा कहीं मुझे भूल तो नहीं जाओगे ? 

श्रवण ने जवाब दिया जब तक जिंदा रहूँगा कभी भी नहीं भूल सकता।

जाते जाते श्रवण उसके लिए चंद पंक्तियां बोलता है

जब दोस्ती की दास्तां वक्त सुनाएगा। हमको भी कोई शख्स बहुत याद आएगा।

तब भूल जाएंगे जिंदगी के गमों को हम 

जब आपके साथ गुजरा ज़माना याद आएगा।

रश्मि फिर से श्रवण के गले लग जाती है। तभी ट्रेन का हॉर्न बजता है और श्रवण कहता है अपना ख्याल रखना। और ट्रेन चल पड़ती है। फिर रश्मि भी अपने घर की ओर चल पड़ती है

दूसरे दिन अंशिका उससे मिलने आती है। रश्मि को देखकर उसने पूछा। ये क्या हाल बना रखा है अपना। बीमार जैसी क्यों लग रही हो? रश्मि ने कहा! हां यार मुझे एक बहुत ही गंभीर बीमारी हो गई है। अंशिका ने पूछा ये अचानक तुझे कौन सी गंभीर बीमारी हो गई।

रश्मि ने कहा मुझे प्यार हो गया है। अंशिका हैरान होकर पूछती है ये तुझे प्यार कैसे और किससे हो गया? रश्मि बोली उसी फौजी श्रवण से। अंशिका ने कहा क्या बात है मेरी जान। 

कुछ दिनों के बाद रश्मि के पास एक फ़ोन आता है रश्मि ने फ़ोन उठाया तो दूसरी तरफ श्रवण था। श्रवण ने पूछा स्वीटहार्ट कैसी हो क्या कर रही हो? रश्मि बोली अरे बाबा एक साथ इतने सवाल!! दोनों काफ़ी देर तक बातें करते हैं फिर श्रवण ने पूछा एक बात बोलूं!!! रश्मि ने कहा कौन सी बात!! श्रवण ने कहा!! आई लव यू!! रश्मि त मानो खुशी से पागल हो जाती है वो भी कहती है आई लव यू टू!!!

फिर वो अंशिका को फ़ोन करती है अंशिका ने फोन पर पूछा क्या हुआ? रश्मि ने कहा बस जल्दी से मेरे घर आ जा

अंशिका जल्दी से उसके घर जाती है। अब बता क्या बात है अचानक से मुझे क्यूं बुलाया ? रश्मि ने कहा बहुत बड़ी खुशखबरी है। अंशिका ने पूछा पर बात क्या है ये तो बता। रश्मि ने कहा आज श्रवण का फ़ोन आया था उसने मुझे आई लव यू कहा है। अंशिका भी खुशी से उसे गले लगा लेती है। क्या बात है यार आज तो पार्टी बनती है।। 

कुछ दिनों के बाद रश्मि ने ये बात अपने माता-पिता को बताया। उसके

पिता ने कहा देखो बेटा प्यार कोई पाप नहीं है पर वो सेना में है उनकी

जिन्दगी बड़े कठोर अनुशासन वाली होती है और हमेशा खतरों से भरी

होती है। वहाँ एक पल में जिंदगी और मौत का फैसला हो जाता है।

पर जिसे प्यार हो जाए वो किसी भी चीज की परवाह कब करता है। समय बीतता जाता है और उन दोनों का प्यार परवान चढ़ता जाता है। 

एक बार श्रवण रश्मि को गाना गाते हुए सुनता है। उसने कहा तुम तो बहुत अच्छा गाती हो तुम सिंगिंग कंपीटिशन में क्यों नहीं हिस्सा लेती।

श्रवण छुट्टी पर घर वापस आता है। एक रात शहर में भयानक तूफान और बारिश का कहर टूटता है। पूरे शहर की बिजली गुल हो जाती है। जो जहाँ है वहीं थम जाता है। अचानक रश्मि के पापा को छाती में बहुत ही जोरों का दर्द उठता है वो तड़पने लगते हैं। उस समय शहर की सारी आकस्मिक सेवाएं भी पानी भरने के कारण ठप हो जाती हैं। रश्मि बहुत घबरा जाती है उनकी इमारत के तलघर में पानी भर गया है जिसके कारण सारी गाड़ियां बंद पड़ जाती हैं। रश्मि श्रवण को फ़ोन करके सब-कुछ बताती है और मदद करने को कहती है। श्रवण ने कहा मैं आ रहा हूँ अपनी गाड़ी लेकर।

श्रवण गाड़ी लेकर जल्दी से रश्मि के फ्लैट पर आता है जो कि दसवें माले पर है रश्मि दरवाजा खोलकर श्रवण को अंदर लाती है। श्रवण ने उसके पापा को देखा और कहा इनको तुरंत अस्पताल ले जाना होगा। रश्मि बोली पर कैसे ले जाएंगे? बिजली नहीं है लिफ्ट भी बंद है। पापा का वजन 125 किलोग्राम से भी ज्यादा है।

श्रवण ने कहा अब एक ही उपाय है सीढ़ियों से ही लेकर जाना होगा। उसने रश्मि के पापा को अपने कंधे पर लादा और दसवें माले से लेकर आहिस्ता आहिस्ता नीचे उतारा और अपनी गाड़ी में डाला और तेजी से अस्पताल लेकर भागा वहां पहुंचकर जल्दी से स्ट्रेचर पर लिटाकर अंदर ले गया।

डॉक्टर ने चेकअप के बाद कहा कि इनको बहुत ही जबर्दस्त दिल का दौरा पड़ा है किस्मत अच्छी थी कि आप इनको यहां ले आए अगर थोड़ी और देरी हुई होती तो इनको बचाना मुश्किल था।

फिर रश्मि ने डॉक्टर को सारी बात बताई कि कैसे श्रवण ने अपनी पीठ पर उठाकर उसके पापा को दसवें माले से नीचे उतारा और यहां तक लेकर आया। डॉक्टर ने कहा मैं नहीं मान सकता इतने भारी इंसान को पीठ पर लादकर ले जाना संभव है। श्रवण ने कहा डॉक्टर साहब में भारतीय थलसेना की स्पेशल फोर्स में हूँ। हमें तो इन सबकी ट्रेनिंग दी जाती है। डॉक्टर रश्मि के पापा का इलाज करते हैं। कुछ दिनों के बाद उनको अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है।

रश्मि और श्रवण के प्यार को देखते हुए रश्मि के पापा श्रवण के डैडी से मिलते हैं और उनके बीच सारी बातों पर विचार विमर्श होता है।

श्रवण के डेडी ने कहा- मुझे कोई ऐतराज नहीं है बच्चों की खुशियां ही तो मां बाप की खुशी है धूमधाम से शादी होगी पर मुझे आपसे एक बात कहनी है।

रश्मि के डैडी थोड़े से सकपकाए। उन्होंने पूछा जी कहिए। श्रवण के डैडी ने कहा ये शादी बहुत ही धूमधाम से होनी चाहिए बारातियों के स्वागत और आवभगत में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। सबसे खास बात!!! ये शादी पूरी तरह से दान दहेज रहित होनी चाहिए।

रश्मि के पापा ने कहा आपको कोई भी शिकायत का मौका नहीं देंगे।

“एक शुभ मुहूर्त देखकर दोनों की सगाई कर दी जाती है। दोनों ही बहुत खुश रहते हैं।

शादी को अब केवल एक हफ्ता ही बचा है। दोनों परिवार छोटा सा मिलने का कार्यक्रम करते हैं। पार्टी में सभी मस्ती कर रहे होते हैं कि अचानक श्रवण का फ़ोन बजता है। श्रवण ने फोन उठाया और यस सर आइ एम रेडी, सर जय हिन्द फ़ोन रखने के बाद श्रवण का चेहरा गंभीर हो जाता है।

रस्म पूछती है- क्या बात है क्या हुआ अचानक इतने तनाव में क्यूं हो गये।

श्रवण ने माइक हाथ में लिया और कहा लेडीज एंड जेंटलमेंस।

मुझे आपसे एक बहुत ही जरूरी बात कहनी है। सारे फौजियों की छुट्टियां तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी गई है और तुरंत ही ड्यूटी पर रिपोर्ट करने को कहा गया है। पाकिस्तान ने कारगिल में सैन्य घुसपैठ की है। युद्ध शुरू होने वाला है। मुझे कल ही रवाना होना होगा। रश्मि तो सदमें में आ जाती है। भारी मन से रोते हुए उसने कहा शादी करके चले जाना। श्रवण ने कहा नहीं स्वीटहार्ट !!! ये नामुमकिन है। एक सैनिक के लिए राष्ट्र सर्वोपरि होता है परिवार उसके बाद। श्रवण ने रश्मि को गले लगाया और कहा अगर मैं अपने पैरों पर चलकर आया तो धूमधाम से शादी करूंगा और अगर तिरंगे में लिपट कर आया तो समझ लेना कि हमारा साथ यहीं तक था।

दूसरे दिन रेलवे स्टेशन पर जब श्रवण ट्रेन के लिए खड़ा रहता है तो रश्मि दुल्हन की तरह सज-धजकर स्टेशन पर आती है और श्रवण को तिलक लगाती है और कहती है मेरी जिंदगी में तुम्हारे सिवा और किसी के लिए कभी जगह नहीं बन सकती। मैं तुम्हारा इसी जगह इंतज़ार करूंगी। “विजयी भवः”

उसके बाद श्रवण कारगिल फ्रंट पर था। बीच बीच में वो रश्मि से फ़ॉन पर बात करता है तो रश्मि को उसकी आवाज कम और गोलियों और धमाकों की आवाज ज्यादा सुनाई पड़ती है।

आखिरकार वो समय आता है जब भारतीय सेना टाइगर हिल पर कब्जा करके तिरंगा लहराती है और युद्ध समाप्त होने की औपचारिक घोषणा की जाती है। श्रवण रश्मि को फोन करके सारी जानकारी देता है साथ ही अपने वापस आने की सूचना देता है।

रश्मि को मानो नया जीवन मिल जाता है। वो अंशिका बुलाकर उससे लिपट कर घंटों रोती है।

वो श्रवण का नागरिक अभिनंदन करने के लिए रेलवे स्टेशन और शहर के सबसे बड़े बैंक्वेट हॉल को फूलों से नई नवेली दुल्हन की तरह सजवाती है।

श्रवण जैसे ही ट्रेन से प्लेटफॉर्म पर उतरता है सामने रश्मि को खड़े देखता है। श्रवण का बहुत ही सम्मान के साथ नागरिक अभिनंदन किया जाता है। अपने हीरो के लिए पूरा शहर हर्षोल्लास में डूब जाता है। आखिरकार वो घड़ी भी आती है जब रश्मि और श्रवण सदा के लिए एक दूसरे के हो जाते हैं।

एक बार श्रवण को ड्यूटी पर जाने का समय होता है तभी वो एक समाचार पढ़ता है कि इंडियन आइडल के लिए प्रतियोगियों का चयन किया जा रहा है। वो रश्मि को भी भाग लेने के लिए कहता है। रश्मि पहले तो नहीं मानती पर श्रवण के बार बार समझाने और अपनी कसम देने पर वो तैयार हो जाती है। वो इंडियन आइडल में अच्छी प्रस्तुति देती है और बहुत आगे तक पहुंच जाती है। इंडियन आइडल के एक एपिसोड में संगीत जगत के बहुत बड़े बड़े दिग्गज आते हैं। ये देखकर रश्मि बहुत नर्वस रहती है फिर उसका नाम परफॉर्मेंस के लिए। पुकारा जाता है।

वो कार्यक्रम के निर्णायकों से कहती है कि आज वो बहुत नर्वस है।

इस पर निर्णायक उसे नॉर्मल होने का समय देते हैं।

रश्मि अपनी आंखें बंद करके स्टेज पर खड़ी है। अचानक स्टेज के पीछे से किसी के गाने की आवाज उसे चौका देती है।

हम तुम्हें चाहते हैं ऐसे मरने वाला कोई जिंदगी चाहता हो ऐसे। रश्मि मंच के पीछे मुड़कर देखती है। मंच के पीछे से श्रवण यूनिफॉर्म (गाते हुए आता है। रश्मि दौड़कर श्रवण के गले लग जाती है। इसके बाद रश्मि पूरे आत्मविश्वास के साथ गाती है। निर्णायक खड़े होकर तालियां बजाते हैं। रश्मि निर्णायकों से निवेदन करती हैं कि वो श्रवण के साथ एक युगल गीत गाना चाहती है। निर्णायक गाने की अनुमति दे देते हैं।

श्रवण रश्मि के साथ बॉम्बे फिल्म का गाना ‘तू ही रे’ गाता है। संयोग से इस गाने के असल गायक हरिहरन भी वहां मौजूद होते हैं। वो कहते है कि मैंने तो इस गाने को गाया है पर आप दोनों को सुनकर ऐसा लगा। कि आप दोनों ने इस गाने में खुद को जीया है।

अचानक एकर की नज़र श्रवण के घुटने से नीचे जाती है वो जगह गीली दिखती है। एंकर पूछता है कि आपका सारा शरीर तो सूखा है पर ये जगह गीली क्यों है? श्रवण ने कहा एक एनकाउंटर में पांव में गोली लग गई थी वही घाव रिस रहा है। ये देख सुनकर वहां बैठा हर कोई श्रवण के लिए सम्मान में खड़े होकर तालियां बजाता है।

वक्त बीतता जाता है। एक दिन पता चलता है कि रश्मि मां बनने वाली है। दोनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता। रश्मि ने कहा भगवान मुझे एक राजा बेटा दे दे। श्रवण ने कहा मुझे तो बेटी चाहिए। दोनों के बीच बेटा-बेटी को लेकर तकरार होती है। आखिरकार नौ महीनों के बाद लक्ष्मी के रूप में उनके घर एक पुत्री का जन्म होता है। श्रवण को दोहरी खुशी मिलती है। एक तो बेटी का जन्म और दूसरे उसकी समय पंख लगाकर उड़ता चला गया। एक दिन रश्मि और श्रवण की बेटी नन्दिनी भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर यूनिफॉर्म पहनकर उनके सामने खड़ी होती है।

श्रवण उसे देखकर अपने बीते दिनों की याद में खो जाता है।

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