Generalमेरी कलम से

शाश्वत ज्ञान – श्री मदन अग्रवाल

कातिक मास रात हर जोतौ।
टाँग पसारे घर मत सूतौ।।

शब्दार्थ- टाँग-पैर। सूतौ- सोना।
भावार्थ- किसान को कार्तिक मास में रात को भई हल चलाना चाहिए, पैर फैलाकर सोना नहीं चाहिए।

तेरह कातिक तीन अषाढ़।
जो चूका सो गया बजार।।

शब्दार्थ- चूका- भूलना।

भावार्थ- जो किसान तेरह बार कार्तिक और तीन बार आषाढ़ में खेत जोतने से चूका, वह बाजार से ही अन्न खरीद कर खायेगा अर्थात् जो ऐसा नहीं करेगा उसे अन्न नहीं मिलेगा।

चइत सोवै रोगी, बइसाख सोवै जोगी।
जेठ सोवै राजा, असाढ़ सोवै अभागा।।

भावार्थ- चैत मास में सोने वाला व्यक्ति रोगी होता है, वैशाख में योगी पुरुष दिन में आराम करते हैं, जेठ माह में बड़े आदमी (रईस) लोग सोते हैं क्योंकि इस समय लू एवं तपन रहती है, लेकिन आषाढ़ महीने में सोने वाला व्यक्ति अभागा ही होता है, क्योंकि यह समय खेती-किसानी के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है।

चइते चना, बइसाखे बेल, जेठे सयन असाढ़े खेल
सावन हर्रे, भादो तीत, कुवार मास गुड़ खाओ नीत

कातिक मुरई, अगहन तेल, पूस कर दूध से मेल
माघ मास घिव खिंच्चड़ खा, फागुन में उठि प्रात नहा
ये बारे के सेवन करे, रोग दोस सब तन से डरे।

Mr. Madan Agrawal is a Chartered Accountant (ICAI), Cost Accountant (ICWAI) and senior fellow member of Insurance Institute of India. He used to teach indirect taxation to the students of ICWAI at their centre in Surat, Gujarat.
He started his professional journey in 1989 with Essar Steel, Hazira. Since 2010, Madan has been working at a senior position in a fertilizer company and is based in Mumbai. A believer in “zero” waste living, his hobbies are yoga and yogic activities.
He is a fluent practitioner of the ancient Indian language of Sanskrit language and aspires to see the language regain its past glory.

He has recently taking keen interest in understanding, analysing and sharing knowledge about the sayings of GHAGH and BHADDARI two legendary Indians having gained expertise in agriculture, health, environment etc.
https://www.linkedin.com/in/madan-agrawal-97710b180?

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button