Page 41 - Cafe-Social-June-2021
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अपना जीवन सँवारे,


          पृ ी, देश और समाज


          से अटूट  ेम रखे



          आज हम देखते है िक पृ ी के  बदलते घटना म से जन-
          जीवो को नुकसान पहचाने वाले हादसे अचानक  वनाश
                            ु
          का कारण हो रहे है। ऐसे  वनाश     के   वचार एवं
          काय  का प रणाम है।

                                        ु
          यु  िकसी के  भा  से नही, अिपतु बढ़ते हए भौ तक  ाथ   के
          कारण होते है। अपने    गत, ओ ो गक, राजनी तक एवं रा ीय

                                                                                         - सुर भ स खला
           ाथ  क  बंद कर द  तो भ व  म  िकसी भी यु  का सामना नह
          करना पड़ेगा।
                                                            इसी तरह सम  गृह  म  पृ ी सबसे खूबसूरत गृह माना जाता है।
              ु
          पुर  द नया म  यह उप   त अराजक    तय  और  ाथप  ूण    पृ ी क   कृ  त के   बना मुन  जीवन क  क ना नही  िक जा
          आदश  का जीवन म  अपनाने के  कारण उ   है।    य  एवं
                                                            सकती है।  ाचीन काल म  मनु  अपने चारो ओर िक सुंदर  कृ  त
          रा ो को पूण   वनाश से सुर  त िकया जा सकता है, य द वे   को संभाल कर रखता था। अपने आस-पास के  पेड  पौधो क

          भाईचारे, औ   गक सहयोग एवं अनुभव  के  अंतर  ीय अदान-   ज ेदार  के  साथ रख-रखाव करता था। पर ु समय के  बदलाव

           दान के   द  आदश  पर आधा रत जीवन जीय ।            अनुसार मनु  अपने  ाथ   के   लए पृ ी के  साथ अ ाय करने
                                                            लग गया,  ग त के   लए  कृ  त के  साथ छेड़-छाड़ करने लगा है।
          आप सोचते है िक घृणा पर  वजय  ा  करना एवं मनु  जा त
                                                            अगर हम पेड -पौधो को न  करते है तो इसका सीधा असर हमारे
          को  ेम करने के   लए  े रत करना  नराशाजनक है, पर ु वत मान
                                                            जीवन के   लए खतरनाक सा बत होता है। इस लए हम  इस पृ ी
          म  इसक  आव कता अ धक है,  जतनी पहले कभी नह  थी।
                                                            क  सु रता को बनाये रखने के   लएै   दषण करने वाले उ ोग
                                                                                         ु
           ाथ   क   वचारधारा आज धम  को अलग-अलग करने म  संघष रत
                                                            एवं  अ  सम  काय   जो पृ ी को  दिषत कर जीवन को
                                                                                         ु
             ु
          है। द नया का अ    अ नय  त होता जा रहा है। भयानक
                                                            कमजोर करते है उन चीज  पर लगाम लगाव । हम पृ ी से माता-
          तूफान  को रोकने म  हम असाहय होते  दख रहे है। जैसे समु  म
                                                            िपता क  तरह  ेम रखे जो हम  जीवन जीने म  सहायक है।
          तैरती सू  व ु क  तरह  तीत होते ह  पर ु अपनी श   को
          कम न होने दे।                                     आप इसके   लए िकसी का इंतज़ार न कर   यं अपनी यो
                                                             मता अनुसार पूण  लगन के  साथ पृ ी क  अनमोल सुंदरता को
          हम  यह सोच अपनी आ ा म  पूण ता उतारना होगी िक सम
                                                            अपने कु छ  ण देकर और अ धक खूबसूरत बनाने का  यास
          जन-जा तये  के  शर र म   र  संचार कर रहा है तो िफर कोई भी
                                                            कर ।
              िकसी अ      से घृणा कै से कर सकता है? हम
          अमे रक ,  ह ु, इ ाम या िकसी अ  रा ीयता से संबंध रखते   अपना जीवन संवारने म  पृ ी, जल, वायु, अ  , आकाश का कज

          है, पर ु  ा हम मनु  संतान या इंसा नयत क  अलग धारणा से   है  इस लए इस कज  को आने वाली न  के   लए उतरना
                                             ं
          तुलना कर सकते है, मानव आ ा को प रसीमाओ म  ब  नह    अ नवाय  है।  अतः पृ ी और पय वरण के    त अपना अटूट  ेम
          िकया जा सकता ह  आज भी य द हम अपनी सोच म   ेमयु  भाव   भाव रखे।  स ी और  ायी  स ता के वल  ेम म  ही है।  ेम से
          लाय  तो संसार क  सम  जा तय  ओर धम  का  ेम   प ब ध   ही एकमा  सुर ा, एकमा  आ य, और सम  भय  से एकमा

          सकते है। िफर आपको एक दसरे के   व   ह थयार उठाने क    बचाव ह  इस लए आपसी  ेम ही संसार म  सम   व ोह का
                               ु
          ज रत महसूस तक न होगी। इस लए  यं हम  सभी धम , रा        नराकरण है।
          एवं जा तय  के   लए एकता बनाने का य  करना होगा।

                                                                                                      JUNE 2021 41
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