Page 11 - Cafe Social Covid Special2 2020
P. 11

Cafe Social                                                                                                                          #stay@home_edition 02
                                      INBOOK TALENT





                                                                  Piyush Goel


                                                         Man of Mirror Image






                                         पीयूष  क    लख   पु तक    पढ़ने  के    लए
                                         आपको  दप ण  का  सहारा  लेना  पड़ेगा।
                                         उ टे   लखे  अ र  दप ण  म   सीधे   दखाई                सुई से मधुशाला
                                         द गे और आप आसानी से उसे पढ़ ल गे।
                                         पीयूष बताते ह   क कु छ लोग  ने कहा  क
     कृ  त  ने  हर  मानव  को  अ  तीय  बनाया  है  पर तु  आपक    लखी   कताब   पढ़ने  के    लए
    कु छ  लोग  ही  इसको  पहचान  और    नया   जनक   शीशे  क   ज रत  होगी।  कु छ  ऐसा  कर
      तभा  देखकर  लोग  चम कार  समझने  लगते  है।   क दप ण क  ज रत न पड़े। इस पर
    ऐसी ही एक   तभा है पीयूष गोयल  ज ह ने ने पांच  पीयूष  ने  सुई  से  मधुशाला   लख  द ।
    तरह  क   पु तक   को  पांच  तरीके    लखकर  चौका  ह रवंश राय ब न क  पु तक ‘मधुशाला’
     दया  है।  लेखक  पीयूष  गोयल  ने  उ टे  अ र   म   को सुई से  मरर इमेज म   लखने म  करीब
    गीता, सुई से मधुशाला, म हंद  से गीतांज ल, काब न  ढाई माह का समय लगा जो  क सुई से
    पेपर  से  पंचतं   के   साथ  ही  क ल  से  पीयूष   लखी    नया  क   अब  तक  क   पहली
    वाणी   लख  डाली।  इनम   अ या म  दश न  और  ऐसी पु तक है जो  मरर इमेज व सुई से
    कम फल सं कृ  त को  यापक और सहजता के  साथ   लखी गई है।
    जन ाही बनाने वाली भागवत गीता भी शा मल है।  काब न पेपर क  मदद से  लखी 'पंचतं '
     ड लोमा  इन  मैके  नकल  इंजी नय र ग  का  पढ़ाई                                        गहन  अ ययन  के   बाद  पीयूष  ने
    करने वाले पीयूष गोयल का 2000 म  ए सीड ट हो                                           काब न  पेपर  क   सहायता  से
    गया  था।  उ ह   इस  हादसे  से  उबरने  म   करीब  नौ
    माह  लग  गए।    इस  दौरान  उ ह ने   ीम भगवद                                          आचाय    व णुशमा    ारा   लखी
                                                                                         'पंचतं '  के   सभी  (  पाँच  तं ,  41
    गीता को अपने जीवन म  उतार  लया।
                                                                                         कथा  )  को   लखा  है।  पीयूष
    नर न  नराश करो मन को                                                                 गोयल ने काब न पेपर को ( जस पर
    नर न  नराश करो मन को                                                                  लखना  है)  के   नीचे  उ टा
    कु छ काम करो, कु छ काम करो                                                           करके  लखा  जससे पेपर के    सरी
    जग म  रहकर कु छ नाम करो                                                              और  श द  सीधे   दखाई  द गे  यानी
                                                                                         पेज के  एक तरफ श द  मरर इमेज
    उपरो  पं  य  और  ीम भगवद गीता ने उनके                                                म  और  सरी तरफ सीधे।
    मनोबल को कम नह  होने  दया. जब वे ठ क  ए तो  पीयूष गोयल ने एक और नया कारनामा कर  दखाया है उ ह ने 1913 के  सा ह य के  नोबेल पुर कार  वजेता
    कु छ अलग करने क   जजी वषा पाले वे श द  को  र व  नाथ टैगोर क   व    स  कृ  त 'गीतांज ल' को 'म हद  के  कोन' से  लखा है। उ ह ने 8 जुलाई 2012
    उ टा  ( मरर  शैली)   लखने  का   यास  करने  लगे।  को  म हद   से  गीतांज ल   लखनी  शु   क   और  सभी  103  अ याय  5  अग त  2012  को  पूरे  कर   दए।
     फर  अ यास  ऐसा  बना   क  उ ह ने  कई   कताब   इसको   लखने  म   17  कोन  तथा  दो  नोट  बुक   योग  म   आई  ह ।  पीयूष  ने   ी   गा   स त  शती,  अवधी  म
     लख द ।                              सु दरकांड,  आरती  सं ह,   ह द   व  अं ेजी  दोन   भाषा   म    ी  सा   स च र   भी   लख  चुके   ह ।
                                         'रामच रतमानस' (दोहे, सोरठा और चौपाई ) को भी  लख चुके  ह ।




               ीम भगवद गीता








                                                   सुई से गीतांज ल                  मेहंद  कोन से गीतांज ल
   6   7   8   9   10   11   12   13   14   15   16