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- मेरी कलम से
मेरी कलम सें – नारी
कुदरत ने भी क्या खूबसूरत चीज बनाई है, देवी रूप में नारी धरती पर आई है, हर रूप में नारी…
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- मेरी कलम से
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मेरी कलम से; रूह – ए – कायनात
सलवटे मलबूस (बिस्तर) की, आँखों में बदन की भूख, क्या सिर्फ टुकड़ा-ए-गोस्त ही थी मैं? शक सुवहा, वासना से मिले…
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