मेरी कलम से – नया वर्ष
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नया है बरस नई हैं मंजिलें हैं
नई राहें अपनी बना लीजिएगा
भूत पीछा करे तो हटा दीजिएगा
वर्तमान को स्वर्णिम बना लीजिएगा
डरें न डराएं, भूत भय के हैं सारे
सामने उनके डटकर बस खड़े होईएगा
भेड़ चाल से जब तक चलता रहेगा
न यहां का रहेगा न वहां का रहिएगा
नया है बरस नई मंजिलें हैं………
तुमसे बढ़कर जमाने में कोई नही
इस कदर ना यूं खुद से घबराइएगा
वक्त के पहले मौत कभी आती नहीं
जान डर के न अपनी, गवां दीजिएगा
नया है बरस नई मंजिलें हैं,,,,,
इंसान हो तुम, न देवता न जानवर
अपना पौरुष जरा जगा लीजिएगा
कोई विपदा नहीं जो जाती नहीं
देखता जा ठहर,धैर्य मत खोईएगा
नया है बरस नई मंजिलें हैं,,,,,,,
रोग शोक बीमारी या ‘करोना’ कोई
तेरे आगे हैं बौने समझ लीजिएगा
नाम सुनते ही जहर खाने लगे क्यों
हम खुद का बनाया मटिा लीजिएगा
नया बरस नई मंजिलें हैं,,,,,,,,
जिंदगी का सफर है सुहाना बड़ा
देखने का नजिरया बदल लीजिएगा
जिंदा रहता है तो रास्ते सब खुले हैं
मौत को न बुला, हार न मानिएगा
नया है बरस नई मंजिलें हैं,,,,,
ये दौलत ये इज्जत है दिखावे की बातें
इनकी खातिर निराशा नहीं लाईएगा
मुश्किलों से कहो साथ चलती रहें
मात खाएंगी एक दिन जता दीजिएगा
नया है बरस नई मंजिलें हैं,,,,,,
देह भी तेरी है, चेतना भी है तेरी
खुद पर विश्वास पूरा कर लीजिएगा
सत्य ईमान और साहस से लक्ष्य
मंजिलों के ‘अवनि’ बना लीजिएगा
नया है बरस नई मंजिलें हैं,,,,,,,
हर सवालों के उत्तर तेरे पास हैं
सुनने खुद की, खुद में उतर जाईएगा
ज्ञान का जो खजाना भरा तेरे अंदर
डूबकर कर चाहे जितना ले आइएगा
नया है बरस नई मंजिलें हैं,,,,,,
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संस्थापक, अध्यक्ष अवनि सृजन समूह
हिंदी सृजन समूह, सहसचिव इंदौर लेखिका
संघ, प्रांतीय महिला परिषद