मेरी कलम से

पर्यावरण – सौजन्य: श्रीमती रश्मिता शर्मा

एक बात को समझो भाई ,
 पर्यावरण  है तो हम है ।
अपने आस -पास पेड़ लगाना है ।
फाइबर ,प्लास्टिक, पाॅलीथिन का
हम सबको मिलकर त्याग करना है।

एक बात को समझो भाई,
पर्यावरण है तो हम है ।

नदियों को स्वच्छ बनाना है ।
हरी -भरी वसुंधरा को सँवारने का
हम सबको मिलकर  प्रण करना है।

एक बात को समझो भाई ,
पर्यावरण है तो हम है  ।

एकता के सूत्र में बंध ये कसम खाते है।
पर्यावरण को शुद्ध, स्वच्छ बनाएँगे
गली -गली वृक्षारोपण  करना है।

एक बात को समझो भाई ,
पर्यावरण है तो हम है  ।

खतरों से खेल रही वो वसुधा हमारी है।
आओं संकल्प उठाएँ मिलकर सब बचाएँगे 
हमें  अपने दूषित होते पर्यावरण को बचाना है।

एक बात को समझो भाई ,
पर्यावरण है तो हम है  ।

ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना है। 
वन -उपवन का श्रृंगार हैं पेड़ 
काटने आने वाले हाथो से वृक्ष लगवाने है।

एक बात को समझो भाई ,
पर्यावरण है तो हम है  ।

स्वरचित रचना
रचनाकार
श्रीमती रश्मिता शर्मा (गुरूजी)
इन्दौर,  मध्यप्रदेश
[email protected] 

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