देश की सभ्यता को सहारे
भारत का नाम कानों पर पड़ते ही हमारे देश कि सभ्यता, भाषाएं, त्यौहार, और भी कई अन्य चीज़े जिससे हमे गर्व होता है कि हम इस देश के निवासी है।
भारत विविध रंगों से बना एक सुंदर देश , जिसमें अन्य भाषा, लोग और उनकी परंपराए एकत्रित है।
हमारे देश कि सभ्यता इतनी खूबसूरत है, कि अन्य देश के निवासी भी हमारे देश की सभ्यता को अपना चुके है। भारत में हमे ‘ अतिथि देवो भव: ‘ का पाठ सिखाया गया है, इसका मतलब कि हमारे लिए मेहमान भगवान के समान है । सोचो हम मेहमान की इतनी सेवा और उन्हें इतना बड़ा दर्जा दे रहे है। तो हमारी सभ्यता कितनी खूबसूरत है।
लेकिन उससे भी खूबसूरत हमारी भाषाएं है , मैं ये नहीं कहूंगी की सिर्फ एक भाषा हमारे देश कि सारी भाषाएं जैसे हिंदी, कन्नड़, मराठी, भोजपुरी, गुजराती, पंजाबी, इत्यादि। उन सारी भाषाओं को मिलाकर एक सुंदर देश बना है । तो उस देश को और उसकी सारी सभ्यता को संभालना भी चाहिए।
हम और हमारे आगे आने वाली पीढ़ी इस बातो से अनजान कहो या भूल चुकी है कि देश कितना खूबसूरत है ।
परंतु वो दूसरी सभ्यता को अपनाने के पीछे पडी है और हमारे संस्कार, रितिरीवाज ये सब भूलती जा रही है, हम ही कुछ कर सकते है । हमारे इतिहास में भी बहुत सहारा गया है संस्कृति को लेकिन ये जो दूसरी सभ्यता को अपना रहे है, आज कल की पीढ़ी वो हमारी सभ्यता नहीं है ।
खुदको बदलना जरूरी है लेकिन हमारी सभ्यता को बदलना ये ग़लत है, क्योंकि दूसरे देश के निवासी हमारी सभ्यता को अपना रहे है और हम खुद हमारे देश कि सभ्यता को भुला रहे है। ये ग़लत है जब हम ही नहीं संभालेंगे तब फिर देश को कौन संभालेगा ?
हमे ही आगे आकर कुछ करना होगा, भारत बहुत खूबसूरत है इसे गंदा भी हमने ही किया है और इसे साफ भी हमे ही करना है । चाहे वो रास्ते कि गंदगी हो या इंसानों के दिमाग कि गंदगी दोनों का सफाया हमे ही करना है। और वो जब तक नहीं होता तब तक देश ऐसे ही हालाथो से जुजता रहेगा ।
सोच को हमे बदलना है ना कि देश की सभ्यता को, तो चलो आओ साथ में फैसला करते है ।
हम सोच बदलेंगे और देश अपने आप बदल जाएगा !