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पामोलीन के मुकाबले सरसों तेल और रिफाइंड सस्ता

थोक बाजार में पामोलीन तेल 162 रुपये किलो बिक रहा है, जबकि सरसों तेल 150 रुपये किलो और सरसों रिफाइंड 154 रुपये किलो बिक रहा है। सरसों तेल की अधिकतम कीमत 160-162 रुपये लीटर से अधिक नहीं होना चाहिए।

रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच विदेशी बाजारों में दाम चढ़ने से बीते सप्ताह देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए। सभवत: यह पहला मौका है जब पामोलीन तेल के भी मुकाबले सरसों तेल और सरसों रिफाइंड का भाव सस्ता हो गया है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण खाद्य तेल आपूर्ति प्रभावित होने की वजह से लगभग सभी खाद्य तेलों के भाव मजबूत हुए हैं। विदेशों में मजबूती के बीच सरसों, मूंगफली जैसे देशी तेल-तिलहनों के भाव आयातित तेलों से भी सस्ते हैं।

सूत्रों ने कहा कि सरकार के अधिकारी तेल आपूर्ति की स्थिति में सुधार के मकसद से जमाखोरी रोकने के लिए जांच और छापेमारी पर जोर दे रहे हैं। लेकिन इस बात पर भी उन्हें ध्यान देना होगा कि जो कोई भी चाहे मनचाही मात्रा में सोयाबीन, सीपीओ जैसे खाद्य तेल आयात कर सकता है और इस पर कोई ‘स्टॉक लिमिट’ नहीं है।

दूसरी ओर देशी खाद्य तेलों के दाम आयातित तेलों से भी सस्ते हैं तो ऐसे में कौन जमाखोरी की जहमत उठायेगा? उन्होंने कहा कि इसके बजाय अगर सरकार सभी तेल कंपनियों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर निगरानी रखे तो आधी से अधिक समस्या यूं ही खत्म हो जायेगी।

सूत्रों ने बताया कि सस्ता होने के कारण जोरदार मांग के चलते पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 40 रुपये सुधरकर 7,490-7,540 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल 150 रुपये सुधरकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 15,000 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 20-20 रुपये सुधार के साथ क्रमश: 2,370-2,445 रुपये और 2,420-2,520 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।

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