अनाथों का आशियानाः गोवर्धन दराडे की प्रेरक कथा
हम ‘‘श्रवल व िहपअपदह‘‘ अनुभाग में गोवर्धन दराडे के उत्कृष्ट कार्यों को दुनिया के सामने ला रहे हैं। उन्होंने अपने जीवन की अनेक कठिनाइयों के बावजूद गरीब और परेशान लोगों के रहन -सहन के लिए एक प्रोजेक्ट स्थापित किया है। आइए उनकी अद्वितीय कहानी को खुद उनकी जुबानी सुनते है और जानते है की कैसे उन्हें इस सोच और कार्य की प्रेरणा मिली।
प्रियजन, आदरणीय माता-पिता, प्यारे दोस्तों, नमस्कार और दिल से धन्यवाद..!
धन्यवाद इसलिये क्योंकि यह पत्र मेरा दिल है जो आपके हाथों में है और आप इसे उत्सुकता से पढ़ रहे हैं जो मेरे
हृदय को राहत देने के लिए काफी है, और मैं पूरे विश्वास से इस मनोभावना को आपके सामने प्रकट कर रहा हूँ।
सामाजिक कार्य न तो अचानक किया जाता है और न ही विरासत में मिलता है। सामाजिक कार्य समाज के साथ जुड़े लोगों की उलझनों, व्यक्तिगत अनुभवों और समाज की समस्याओं का सामना करने से होता है।
इस जीवन में जिम्मेदारी का यह कार्य करने का मैंने बीड़ा उठाया है। वंचित और शोषित का विकास करना मेरा सपना और लक्ष्य है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए मैं अथक प्रयास कर रहा हूँ। समाज की सही बातों को समझने वाले प्रिय माता-पिता और दाताओं इसीलिए मैं अपने जीवन की पुस्तक को आपके सामने खोलना जरूरी समझता हूँ।
‘‘मैं गोवर्धन दराडे हूँ। यह मेरा छोटा सा गाँव खडकी (देवला) है जो बीड जिले के डोंगरवाड़ी में है। इस गाँव के अट्ठाइस घरों में गरीबी है। पीढ़ी दर पीढ़ी, हम हर साल खेत में काम करने जाते हैं। इन सभी संघर्षों के बीच, मैंने किसी तरह 10वीं कक्षा को पास किया और 16 वर्ष की उम्र में मैंने किसानों के सहायक के रूप में नौकरी पाई। विरासत में मिले औजार के साथ गन्ने काटने के दो साल बीत गए। कभी स्कूल में और कभी गन्ने के खेतों में मेरा समय बीता। मैंने किसी तरह 12वीं कक्षा पास की। जब उम्र बढ़ी तो जिम्मेदारियाँ भी बढ़ गईं। फिर विवाहित जीवन शुरू हुआ। दिन गुजरते रहे। गन्ने काटने की नौकरी के बाद मैं ड्राइवर बन गया। बाद में मैंने एक कंपनी में मैकेनिक और साइड इंचार्ज की नौकरी की। पंद्रह साल के कार्यकाल में भ्रमण का बड़ा अनुभव मिला।
विभिन्न विभागों के कई लोगों से मैं जुड़ा। लेकिन जिंदगी की विभिन्न उतार चढावों और असमानताओं को देखकर मेरा मन बेचौन हो गया। मेरे मन में हमेशा एक संघर्ष चला करता था। कभी भी ठीक से आराम नहीं मिलता था। कभी-कभी चिंता होती थी कि परिवार की स्थिति विषम होने कारण मुझे खुद को शिक्षा नहीं मिली। लेकिन अब समाज के डरावने चलन के कारण मैंने कुछ ठोस फैसला किया। उस समय मैंने कंपनी की नौकरी छोड़ दी। पुश्तैनी कृषि भूमि बेची, और 2014 में “पासायदान सेवा प्रोजेक्ट“ की स्थापना की।
इस प्रोजेक्ट के माध्यम से, अनाथ, भटकते, शोषित, और आत्महत्या करने वाले किसानों के बच्चों को रहने का अवसर प्रदान किया। इस सेवा प्रोजेक्ट से आये हुए परिवर्तन को देखकर मेरे मन में काफी संतोष है।
महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों के अनेक लोग अपने जीवन को सामाजिक अर्थ में उन्नति देना चाहते हैं। सामाजिक प्रोजेक्ट्स के चलाने वाले लोगों से संपर्क करके ऐसे लोग उन प्रोजेक्ट्स में शामिल होते हैं।
वर्तमान में प्रोजेक्ट में कुल 50 लड़के और 40 लड़कियाँ हैं। उन सभी को शिक्षा और देखभाल की जरूरत है। आपकी तरह कई दाताओं ने अब तक सहायता प्रदान की है और यह प्रोजेक्ट उन सभी की सहायता की बदौलत ही सुचारू रूप से चल रहा है। प्रोजेक्ट में कई लड़के और लड़कियाँ अब अच्छे पदों तक पहुँच गए हैं और पूरी तरह से वो सब जीवन में कामयाब हैं।
फिर से आप सभी का दिल से धन्यवाद…!
हम कैफे सोशल से गोवर्धन दराडे को उनके प्रतिबद्धता और समाज में गरीबों की सहायता के लिए उनके प्रयासों के लिए हार्दिक प्रशंसा प्रेषित करते हैं। उनकी प्रेरणादायक कहानी हमें यह याद दिलाती है कि व्यक्तिगत सद्प्रयास दूसरों के जीवन में कैसा गहरा प्रभाव डाल सकता है।
हम सभी को गोवर्धन के उदाहरण से प्रेरित होकर, छोटे-छोटे उपकारों या बड़ी पहलों के माध्यम से समाज के लिए सकारात्मक योगदान देने के संकल्प लेने की प्रेरणा लेनी चाहिए। साथ मिलकर, हम सभी एक उज्ज्वल और दयालु दुनिया की स्थापना कर सकते हैं। आगे बढ़ते रहें, दयालुता फैलाते रहें!