poem
- कविताएं और कहानियां
परिणति – डॉ अनिता अग्रवाल
फूलों की माला सेफूलों की चादर तक का सफर कितना हसीन, दिलकश और कितना करीब हुआ करता थासात फेरे, सात…
Read More » - मेरी कलम से
मेरी कलम से
गज़ल तन्हा हूं इंसानी हुजूम में भी तन्हा हूं मुझे खुद पता नहीं कहां हूं। मुहब्बत करने की जुर्रत क्या…
Read More » - मेरी कलम से
लड़कियाँ मेहमान होती हैं।
लड़कियाँ मेहमान होती हैंशीशे का सामान होती हैं लड़कियाँ गढ़ी जाती हैंसमाज की चाक परसेंकी जाती हैंसंस्कारों की आँच पर…
Read More »