gazal
- मेरी कलम से
मेरी कलम से
गज़ल तन्हा हूं इंसानी हुजूम में भी तन्हा हूं मुझे खुद पता नहीं कहां हूं। मुहब्बत करने की जुर्रत क्या…
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गज़ल तन्हा हूं इंसानी हुजूम में भी तन्हा हूं मुझे खुद पता नहीं कहां हूं। मुहब्बत करने की जुर्रत क्या…
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