हिंदी साहित्य
- मेरी कलम से
- General
मुहब्बत का गुलकंद-राजभाषा हिंदी का सम्मान २०२२ का पुस्कृत व्यंग्य
दरवाजा खोलते ही वह बुरी तरह से चौंक गए, सामने जुम्मन मियां लुटे-पिटे से खड़े थे।
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व्यंग्य – और लैला मजनू मिल गए
हुस्न हाजिर है मुहब्बत की सजा पाने को कोई पत्थर से ना मारे मेरे दीवाने को । मेरे जलवो की…
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मेरी कलम से – चलो चंद्रयान चलो
विक्रम लैंडर निज रोवर से वह संदेश सुनाएगा भारत का यह ऐतिहासिक मिशन युग-युग तक अमर हो जाएगा ।
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राजभाषा हिंदी का सम्मान २०२२ की पुरस्कृत कहानी: जीवन का अर्थ
समय अपनी निर्वाध गति से काल खंड पर अपने पदचिह्नों को छोड़ते हुए आगे बढ़ता रहा और माधव संतुष्ट भाव…
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मेरी कलम सें – नारी
कुदरत ने भी क्या खूबसूरत चीज बनाई है, देवी रूप में नारी धरती पर आई है, हर रूप में नारी…
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- Satire
(व्यंग्य) – साहित्य का कैशबैक
मैं क्या करता ,अंत में उन्होंने कहा कि साहित्य के हित मे वो अवार्ड कैंसिल नही करेंगी इसलिये अब कविता…
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व्यंग्य – जाति ना पूछो साधु की
ऐसा ही नजारा आजकल हमारे न्यायालय (कोर्ट) परिसर में दिखाई पड़ रहे है जहां आजकल न्यामूर्ति साहेब खुले आम चीन…
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चाहत…..सौजन्य: श्री डी. के.सक्सेना(दीप-दर्शन)
हम भी क्या मनन कर बैठे! होकर खाना बदोश ,जहाँ अपना समझ बैठे।
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