नीव के पत्थर

कानपुर के मोबाइल मिस्त्री की प्रेरणादायक यात्रा अमरनाथ चौहान

आज की दुनिया में मोबाइल का इतना उपयोग हो रहा है कि हर व्यक्ति के हाथ में मोबाइल है और हर व्यक्ति अपने संपर्कों को प्रायः मोबाइल के माध्यम से ही बनाये हुए है। ऐसी स्थिति में एक मोबाइल बेचने वाले साधारण दुकानदार की भी समाज में बहुत बड़ी स्थिति बन जाती है, क्योंकि किसी का मोबाइल जरा सा भी खराब होता है तो वह व्यक्ति बेचौन हो जाता है और उसे लगता है कि कितनी जल्दी उसका मोबाइल ठीक हो जाए। इस संचार की दुनिया में ऐसी हालत हो गई है कि व्यक्ति एक कदम भी मोबाइल के बिना चल नहीं सकता है।

मोबाइल विक्रेता या जिसे मोबाइल बनाने की जानकारी है वह चाहे जैसा भी हो, समाज में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इस अर्थ युग में पैसे के लेनदेन से लेकर सामाजिक संबंधों के निर्वाह में मोबाइल का बहुत बड़ा योगदान हो चुका है। लोगों के पास समय नहीं है और लोग प्रायः मोबाइल के माध्यम से ही एक दूसरे का समाचार पूछते रहते हैं। मोबाइल दुकानदार या मोबाइल का जानकार आज इस अर्थ में इतना महत्वपूर्ण हो चुका है कि जरा सी मोबाइल में खराबी हुई, लोग उसे ढूंढना शुरू कर देते हैं। देखा जाए तो जिसे मोबाइल बनाने का ज्ञान है वह आज के दौर में बहुत महत्वपूर्ण हो चुका है।

हमारे स्तंभ नीव के पत्थर का नायक है अमरनाथ चौहान, जो कानपुर के रहने वाले हैं और उनकी एक छोटी दुकान कानपुर में पिछले कई सालों से चल रही है। इन्होंने मोबाइल बनाना सीखा और अपनी एक छोटी दुकान खोल दी, जिसमें यह मोबाइल और उससे संबंधित सारे सामान रखते हैं। मेरी इनसे मुलाकात जब नींव के पत्थर के लिए हुई तो मैंने पूछा कि मोबाइल दुकान खोलने के पीछे की क्या कहानी है तो उन्होंने बताया की जब उनके पिताजी जीवित थे, तब किसी कारणवश घर की स्थिति अच्छी नहीं थी। संघर्षों के दौर से घर गुजर रहा था।

इन्हें मोबाइल बनाने की जानकारी थी तो सोचा कि जो हुनर इनके पास है, क्यों ना उसी में किस्मत आजमाइश करें। घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। जैसे तैसे करके इन्होंने एक मोबाइल दुकान खोली और उनके छोटे भाई राम प्रवेश चौहान ने इनकी मदद की। यह दुकान बहुत बड़ी तो नहीं है, पर घर का खर्च चलाने में यह सक्षम जरूर है। 2019 में इनके पिताजी स्व दूधनाथ चौहान का निधन हो गया और घर की पूरी जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई। यह तीन बहन और दो भाई हैं तथा संघर्षों भरा जीवन है। इनकी दो संताने हैं सुरभि और ध्रुव, जो अभी छोटे-छोटे हैं।

पिता की मृत्यु के बाद इनके पिता की भूमिका उनकी बड़ी बहन ने निभाई और समय-समय पर बड़ी बहन ने उनकी काफी आर्थिक मदद की। पहले एक छोटा सा घर था, जिसमें इनकी मां, इनकी पत्नी, दो छोटे बच्चे और इनके भाई रहा करते थे। 2023 में इन्होंने पिता की खरीदी हुई जमीन पर नवनिर्माण किया, जिसमें इनकी बड़ी बहन सुनीता ने काफी सहायता की। आज उस मकान से किराया भी आता है, जिससे इन्हें कुछ ना कुछ सहारा अवश्य मिला है। इनका छोटा भाई बहुत मेहनती है और दुकान का सारा काम वह संभालता है, जबकि यह बाहर का काम पूरी तरह से संभालते हैं।

दिनचर्या बंधी हुई है। सवेरे ही 8 बजते बजते दुकान खुल जाती है और रात में 10 बजे तक यह व्यस्त रहते हैं। इनका कहना है कि व्यवहार में बड़ी शक्ति होती है। ग्राहकों के साथ अच्छी बोलचाल और अच्छा व्यवहार व्यापार को बढ़ाने में सहायक होता है। इन्होंने इसका पूरा पालन किया है तथा मोबाइल से जो भी काम हो सकते हैं, उसको इन्होंने धीरे-धीरे सीखा है। घर की परिस्थितियों के कारण इन्होंने बहुत उच्च शिक्षा ग्रहण नहीं की, किंतु इनका मानना है कि किताबी ज्ञान से कहीं अधिक व्यवहारिक ज्ञान जीवन में काम देता है। यह बड़े सामाजिक हैं और समय पर लोगों की मदद भी करते रहते हैं।

उनके सुख-दुख में साथ देना अपना फर्ज समझते हैं। इनका मानना है कि जो दिल का अच्छा होता है, जो दूसरों से प्रेम करता है उसपर ईश्वर की कृपा होती है और वही आदमी तरक्की करता है। जो दूसरों से नफरत करता है, जो दूसरों से लड़ने का बहाना ढूंढता है, जो दूसरों का सम्मान नहीं करता है उसपर ईश्वर प्रसन्न कभी नहीं होते हैं और उसकी जिंदगी में सुख चौन कभी नहीं होता है। यह ईश्वर भक्त है और मनुष्यता के सारे गुणों को आत्मसात करने की कोशिश करते रहते हैं।

मैंने जब अमरनाथ चौहान से बात की तो उन्होंने कहा कि परिश्रम से में कभी नहीं घबराता हूं। चाहे कड़ी धूप हो, चाहे ठंडे का मौसम हो या बरसात, यदि किसी ग्राहक को मेरी आवश्यकता हुई तो मैं वहां जरूर जाता हूं और उनकी सहायता करता हूं। बैंकिंग के कार्यों में भी यह दक्ष हैं। इसी क्रम में मैंने इनकी दीदी सुनीता से बात की तो उन्होंने कहा कि मुझे अपने छोटे भाई से बहुत प्रेम है और ईश्वर ने चाहा तो भाई की हर समस्या में मैं उसके साथ खड़ी हूं, चाहे वह आर्थिक समस्या हो या सामाजिक समस्या हो, क्योंकि भाई बहन का जो प्यार होता है, वह मिटता नहीं है।

उनकी बड़ी बहन भी व्यापारिक बुद्धि की है, यद्यपि वह नौकरी करती हैं, फिर भी विरासत में मिले ज्ञान के कारण उनकी भी बुद्धि व्यापारिक क्षेत्र में है और उन्होंने अपनी एक संस्था भी खोली है तथा कुछ विषयों में एक जाने-माने विश्वविद्यालय से डिप्लोमा कोर्स करने का अधिकार प्राप्त किया है और इन्हें उम्मीद है यह काफी आगे बढ़ेगा और घर की आर्थिक स्थिति काफी सुधरेगी। अमरनाथ चौहान से मैंने पूछा कि आपके जीवन का निचोड़ क्या है तो उन्होंने कहा कि अपनी जिम्मेवारियों से भागना नहीं चाहिए और आदमी अगर एक जगह हार जाए तो यह उसकी पूरी हार नहीं होती है।

उसे फिर से प्रयास करना चाहिए। कहीं ना कहीं तो जीत होगी। जिंदगी में नाउम्मीदी ही सबसे बड़ी हार है और जिंदगी में आस लगाकर काम करना सबसे बड़ी जीत। ईश्वर बहुत बड़े हैं। समय सबका एक समान नहीं होता है। हर किसी के जीवन में बहार भी आती है। इनकी दीदी सुनीता इनकी प्रेरणा है और मैंने जब संपूर्ण घर का अवलोकन किया तो मुझे लगा कि घर के पारस्परिक प्रेम के कारण इनका घर काफी आगे बढ़ेगा और अगले कुछ सालों में यह व्यापार की क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ेंगे, क्योंकि परिश्रम को यह जीवन का महत्वपूर्ण आधार मानते हैं। इनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए कि विपरीत परिस्थितियों में भी आदमी को अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए। आर्थिक स्थिति कमजोर हो तो बढ़ाया जा सकता है पर, घर का प्रेम खत्म हो जाए तो वहीं से घर का पतन शुरू हो जाता है।

अतः आपसी प्रेम और सम्मान से घर बहुत आगे बढ़ जाता है। यही इनके जीवन का निचोड़ है। इनका कहना है कि जिस घर में लड़ाई झगड़े होते रहते हैं, वहां दरिद्रता का निवास होता है, गरीबी वहां से जाती नहीं है, लेकिन जहां पर लोग एक दूसरे का सम्मान करें उसके घर में लक्ष्मी जरूर आती हैं। इनका मूल मंत्र है परिश्रम और परिश्रम के बल पर यह आगे बढ़ने का पूरा प्रयास कर रहे हैं।

उनकी बड़ी बहन सुनीता इनकी प्रेरणा है और शक्ति भी, जो अत्यंत शिक्षित है और इनके बच्चों की शिक्षा दीक्षा में उसका बड़ा योगदान होगा। मुझे उम्मीद है कि एक समय ऐसा जरूर आएगा, जब इनके घर में लक्ष्मी विराजमान रहेंगी और कानपुर शहर के प्रसिद्ध व्यापारियों में इनका एक स्थान रहेगा।

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