नीव के पत्थर

हिम्मत और मेहनत की कहानी, कविता किरण

कविता किरण सेलर एक ऐसी महिला है, जिन्होंने घर और परिवार के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है। नींव का पत्थर स्तंभ में आज मैं इन्हीं की कहानी प्रस्तुत कर रहा हूं, जो बहुतों के लिए प्रेरणादायक होगी। घर में काम करने वाली महिलाएं हमारे समाज में बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इनके बिना घर का काम ही नहीं चलता है। जो छोटे-छोटे काम होते हैं , जैसे घर की सफाई,  बर्तन साफ करना, रसोई बनाना आदि । यह रोजमर्रा का कार्य है और आज की व्यस्त जिंदगी में इसे कर पाना बहुत कठिन होता है। खासकर जो कामकाजी महिलाएं हैं उन्हें तो इसके लिए वक्त ही नहीं मिलता है। साथ ही साथ जो गृहणियां है , उन्हें भी बिना इनके सहयोग के घर को सुसज्जित करने में और व्यवस्थित करने में सफलता नहीं मिलती है।

रोज सवेरे उठकर कई घरों में जाना और वहां की संपूर्ण आवश्यक व्यवस्था को देखना इनका महत्वपूर्ण कार्य होता है वास्तव में इंसान की जिंदगी में बहुत सारे परिवर्तन होते हैं कविता जी की जिंदगी में भी एक ऐसा ही परिवर्तन हुआ।

“समय एक समान कभी नहीं होता, उसे स्वीकार करना ही जीवन की सच्ची कला है।”

एक जमाना था जब कविता जी का अपना भरा पूरा घर हुआ करता था। इनकी अपनी एक दुकान थी। अच्छी खासी आमदनी थी। सुखी परिवार था। एक पुत्र जिसकी शादी हो चुकी थी और ईश्वर की कृपा से गृहस्थी बड़े आराम से चल रही थी। तभी इस समय कोरोना ने सर उठाया। बहुत से लोग इस दुनिया से चले गए ।बहुत से लोगों का काम धंधा चौपट हो गया और आर्थिक रूप से बहुत से लोगों की कमर टूट गई। मुंबई जैसे शहर में इसका प्रभाव अधिक था और काफी लोग इस बड़े शहर में कोरोना से प्रभावित हुए। आर्थिक विपन्नता छा गई और कविता जी की आमदनी  खत्म हो गई।

जब कोरोना का कहर थोड़ा थमा तो उनके पुत्र ने एक दुकान डाली। अथक परिश्रम करने के बावजूद वह दुकान नहीं चली और यह कर्ज में डूब गई। घर का संचालन होना कठिन हो रहा था तो उन्होंने एक निर्णय लिया कि काम कोई भी छोटा नहीं होता है। काम को ईमानदारी से करना चाहिए और इन्होंने विभिन्न घरों में जाकर वहां का काम संभालने का निर्णय लिया। आज कुछ घरों में यह काम करती हैं। घर का खर्चा चलाने में इनका बहुत बड़ा योगदान है और धीरे-धीरे करके अपने पुत्र को भी कहीं व्यापार में लगाने की इच्छुक हैं। कैफे सोशल की यह दुआ है कि उनके बच्चे का काम भी शुरू हो जाए तथा घर में आर्थिक खुशहाली आ जाए।

इनका व्यवहार हर घर में बड़ा मधुर रहता है और घर का काम तो संभालती ही है ,घर की व्यक्तिगत समस्याओं में भी यह वहां के लोगों से सलाह मशवरा करती हैं तथा अपने तजुर्बे का लाभ उन्हें देती हैं।चूंकि ये संपन्नता से विपन्नता की ओर आई हैं तो अनुभव का फलक भी उतना ही पड़ा है। इसलिए हर घर में लोग इनका सम्मान करते हैं। यह रसोई के काम में भी काफी दक्ष हैं और काफी अच्छा खाना बनाती हैं तो लोग इन्हें पसंद करते हैं।

मैंने पूछा कि आपकी जिंदगी का निचोड़ क्या है ?उन्होंने कहा कि समय एक समान कभी नहीं होता है ।कभी मेरी भी उम्मीद थी कि हमारा व्यापार बढ़ेगा और उच्च श्रेणी की जिंदगी बिता पाऊंगी। किंतु समय ने करवट ली और संसार के कई लोगों की तरह मैंने भी कोरोना के इस गहरे संकट को  झेला। घर में पैसे आने का स्रोत खत्म हो गया तो ईश्वर की मर्जी समझकर मैंने घरों में काम करने का फैसला लिया और यह फैसला सही साबित हुआ। यदि मैं अपने स्वाभिमान को ध्यान में रखती और यह सोचती कि संपन्नता की जिंदगी बिताने के बाद मैं कैसे घरों में काम करूं तो आज मेरे घर में खाने को अन्न भी नहीं होता।

मैंने यह महसूस किया कि जिंदगी में कोई भी काम ना छोटा होता है ना बड़ा होता है। काम को मन लगाकर करना ही जीवन की सार्थकता है और जो व्यक्ति यह जानते हैं कि उन्हें किसी न किसी रूप में परिश्रम करना चाहिए , वह अवश्य सफल होते हैं। इनका कहना है कि आज में खुश हूं। क्योंकि, काम मेरा चाहे जैसा भी हो, मैंने बहुतों का प्यार पाया। लोग मेरा सम्मान करते हैं, जिन घरों में जाती हूं तो कभी ऐसा नहीं लगता है कि वह पराया घर है और यही मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। शायद प्रभु ने मेरी झोली में बहुत सारा प्यार लिखा था, इसी वजह से मेरे जीवन की नैया इस रूप में आगे बढ़ सकी।

मैं कैफे सोशल मैगज़ीन की संपादकीय टीम का तहे दिल से धन्यवाद करना चाहती हूं कि उन्होंने “नींव के पत्थर” सेक्शन में मेरी कहानी को स्थान दिया। यह बेहद सराहनीय है कि कैफे सोशल आम लोगों और समुदाय के सहायक कर्मियों की कहानियों को उजागर कर रहा है, जो कि आज के समय मे बहुत ही दुर्लभ है। आपकी इस पहल ने न केवल मुझे, बल्कि उन सभी को प्रेरणा दी है जो अपने संघर्षों से जूझ रहे हैं। आपके इस प्रयास के लिए मैं सदा आभारी रहूंगी।
“कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता, मन लगाकर किया गया हर काम महान होता है।”

कैफे सोशल उनकी भावनाओं का सम्मान करता है तथा निश्चित रूप से इनका जीवन प्रेरणादायक है, क्योंकि कठिन से कठिन परिस्थिति में भी व्यक्ति अपने को संतुलित करके कोई दिशा निर्धारित कर ले तो वह सफल होता ही होता है।

प्रो. विनय भारद्वाज
ज्योतिषाचार्य और मानविकी संकायाध्यक्ष,
मगध विश्वविद्यालय, गया

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