छठ महापर्व
शारदा सिन्हा की ‘आवाज’ हम सबों के दिलों पर हमेशा राज करेंगी
छठ गीत केलिए लोकप्रिय और छठ मे ही हुई अंतिम विदाई
बिहार समेत देश के कोने -कोने मे पांच दिवसीय छठ महापर्व का उत्सव चल रहा है,लेकिन इस उत्सव मे अचानक ‘उदासी’ ,छा गयी है मारबो रे सुगवा धनुष से….सुगवा गिरे मुरझाये लोकप्रिय छठ गीत गाने वाली शारदा सिन्हा अब हमेशा केलिए खामोश हो गयी हैं.छठ गीत को लोकप्रिय बनाने वाली शारदा सिन्हा की छठ मे ही विदाई से ईश्वरीय चमत्कार से कम नहीं है.
शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को हुलास, राघोपुर, सुपौल जिला, बिहार मे हुआ था जिन्होंने 5 नवम्बर 2024 को 72 वर्ष की उम्र मे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान , नई दिल्ली मे अंतिम सांस ली. पिछले सितम्बर माह मे ही शारदा सिन्हा के पति डॉ.ब्रजकिशोर प्रसाद सिन्हा की 80 वर्ष की उम्र मे ब्रेन हेमरेज के कारण हुई थी, वे घर मे ही गीर गए थे. उसी वक्त से शारदा सिन्हा टूट गयी थीं,और उन्होंने कहा था मैं भी जल्दी ही आउंगी, और विधि का विधान देखिये की तीन माह के अंदर ही वो भी रुख़सत हो गयीं.
शारदा सिन्हा को कई पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है जिनमें
पद्मभूषण (2018)
पद्मश्री (1991)
सहित संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार शामिल हैं. उन्होंने मैथिली, भोजपुरी के अलावे हिन्दी गीत भी गाये। सलमान खान और भाग्य श्री की फ़िल्म मैंने प्यार किया का गाना कहे तो से सजनाऔर फ़िल्म हम आपके हैं कौन का विदाई गीत सजन घर मैं चली काफ़ी लोकप्रिय हुई.
फ़िल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी फिल्मों में इनके द्वारा गाये गीत तार बिजली से पतले हमारे पिया काफी लोकप्रियहुए। उनके गाये गीतों के कैसेट संगीत बाजार में सहजता से उपलब्ध हैं । दुल्हिन, पीरितिया, मेंहदी जैसे कैसेट्स काफी बिके। बिहार एवं यहाँ से बाहर दुर्गा-पूजा, विवाह-समारोह या अन्य संगीत समारोहों में शारदा सिन्हा द्वारा गाये गीत अक्सर सुनाई देते हैं।
लोकगीतों के लिए इन्हें ‘बिहार-कोकिला’, ‘पद्म श्री’ एवं ‘पद्म भूषण’ सम्मान से विभूषित किया जा चुका है. बिहार की मिट्टी की खुशबू से लबरेज शारदा सिन्हा की आवाज मे एक अलग खनक थी जिसका भरपूर उपयोग नहीं किया जा सका पर बिहार के लोक आस्था का महापर्व छठ केलिए उनके गाये गीत किवदंती बन चुके हैं. शारदा सिन्हा के गीत बजने शुरु मतलब ‘ठेकुआ’ बनना शुरु. शारदा जी की आवाज हम सबों के दिलों पर हमेशा राज करेंगी.