बिहार के गांधी: नीतीश कुमार
एक पुस्तक मे ‘विकास क्रांति’ की गाथा
पठनीयता के संकट की चर्चा
रविवार 18 अगस्त को बिहार विधानमंडल के बाहर श्रावणी मास की रिमझिम फुहार मौसम मे रस घोल रही थी और अंदर सभागार मे ‘विकास क्रांति’ की गाथा के पन्ने फड़फड़ा रहे थे.
मौका था बिहार सरकार के मंत्री डॉ. अशोक चौधरी व उनकी सांसद पुत्री शांभवी द्वारा संयुक्त रूप से लिखित पुस्तक बिहार के गांधी:नीतीश कुमार के विमोचन सह लोकार्पण का. पुस्तक का प्रकाशन ” प्रभात प्रकाशन द्वारा किया गया है.
पुस्तक के लेखक द्वय डॉ. अशोक चौधरी व शांभवी ने पुस्तक के कन्टेट पर प्रकाश डालते हुए कहा की 2005 मे नीतीश कुमार को 21हजार करोड़ रुपये के बजट वाला बेचैन बिहार मिला था और आज 2लाख 40 हजार करोड़ रुपये के बजट वाला उन्नत बिहार बनाने मे उन्होंने अथक अथक परिश्रम किया है. महिला आरक्षण, महादलितों व आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को न्याय,आधारभूत संरचना का निर्माण, पंचायती राज का गठन कर महिला आरक्षण, जीविका दीदी का गठन कर ग्रामीण इलाके के महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना, शराबबंदी और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की पुर्नस्थापना कर देश के सामने नजीर पेश किया है.
लेखक वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, फ़िल्म कलाकार और मगध विश्वविद्यालय, बोधगया मे प्रशानिक पदाधिकारी हैं
मौके पर मौजूद बिहार के गवर्नर राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने नीतीश कुमार की कार्य शैली की चर्चा करते हुए कहा की हमने नीतीश जी से कहा की राजभवन मे बैठक केलिए एक सभागार होनी चाहिए, उन्होंने तत्काल इसका प्रबंध करा दिया. फिर मेरी लालच बढ़ी और राजभवन केलिए एक गेस्ट हाउस की मांग की वह भी पूरा हो गया. गवर्नर साहब ने एक बड़ी बात कही… पुस्तक लिखने वाले तो बहुत हैं…… लेकिन पाठक कहां हैं?उन्होंने इसके लिए इस स्लोगन पर अमल करने पर ज़ोर दिया.. ” पढ़े बिहार… बढ़े बिहार.. “
यहां मैं इस बात का उल्लेख करना चाहूंगा की बिहारी सपूत ” अंकित विशाल ” जब सोनी टीवी के ‘मिस्टर इंडिया’ रनर अप चुने गए थे तब उन्हें चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी का ब्रांड एमबेस्डर बनाकर “तुम पुस्तकों के करीब जाओ… ज्ञान की रौशनी करीब आएगी” के स्लोगन के साथ पठनीयता का संकट दूर करने केलिए प्रचार कराया गया था. ऐसा ही प्रचार बिहार मे भी कराने की जरुरत है.
इस मौके पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी तथा बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने नीतीश कुमार के कृत्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा की बिहारवासी ही नीतीश के परिवार हैं इसलिए वे इन्हीं के विकास केलिए तत्पर रहते हैं.
प्रख्यात गायक उदित नारायण ने नीतीश कुमार की कार्यशैली की चर्चा करते हुए कहा की सुपौल जिले के मेरे गांव मे बिजली नहीं थी, सकुचाते हुए हमने उनसे इसकी चर्चा की थी…. चार दिन मे बिजली आ गयी. उन्होंने ” पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा… ” गाना गाकर स्रोताओं की वाहवाही लूटी. रामायण सीरियल से ‘राम’ के रूप मे विख्यात हुए और अब सांसद अरुण गोविल ने नीतीश कुमार की बार -बार दल बदलने वाली छवि पर प्रकाश डालते हुए कहा की वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि बिहार केलिए किये जा रहे विकास कार्य अधूरे न रह जाएं.
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) शशि प्रताप शाही ने कहा की “बिहार का गांधी:नीतीश कुमार” नामक पुस्तक पूरी तरह जस्टिफाइड है. उन्होंने पुस्तक के लेखक द्वय डॉ. अशोक चौधरी व शांभवी को शुभकामनाएं दी. उन्होंने पठनीयता का संकट दूर करने मे शिक्षकों और विद्यार्थियों को मदद करने का आह्वान किया.
इस मौके पर बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्राध्यापक, और बड़ी संख्या मे डॉक्टर इंजीनियर विद्यार्थी और राजनीतिज्ञ मौजूद थे.