सैनिकों के दिल की बात उसी की है जुबानी – संजीव जैन!!
सैनिकों के दिल की बात उन्हीं की है जुबानी
हर सैनिकों के घर- घर की यह है एक कहानी
दूसरे तीसरे देशों की ना जाने कैसी है नादानी
आखिर इसमें क्या परेशानी है?
तुम वहां खुश रहो, हमनें भी यहां खुश रहने की ठानी है
हम, तुम जिएं दूसरों के लिए यही तो जिंदगानी है
सीधी सादी बात है, ये हम लोगों को समझ में आनी है
आखिर इसमें क्या परेशानी है?
देश हमको प्यारा तुम भी, अपने देश से खूब प्यार करो
खुश रहो अपने देश में, पड़ोसियों का सम्मान करो
हम तुम रहे आपस में भाईचारे से, कभी ना शक करो
आखिर इसमें क्या परेशानी है?
देशों के भाग्यविधाताओं, एक बात हमारी भी तो सुनो
अपने अभियानों को तजो, मेरी मां बहिनों की भी सुनो
उनकी आंखों में देखकर एक बार,दिल की बात तो सुनो
आखिर इसमें क्या परेशानी है?
जिंदगी खूबसूरत है, उसे हम लोगों को भी जीने दो
कुछ नीति ऐसी बने, बनाओं कि युद्ध होने ही ना दो
सम्पूर्ण साधन मानवीय मूल्यों के लिए ही लगने दो
आखिर इसमें क्या परेशानी है?
ऐसा नहीं कि हमें, अपनी भारत माता से प्यार नहीं
और ऐसा भी नहीं कि हम, युद्ध के लिए तैयार नहीं
प्रण हमारा अपनी धरती पर किसी को घुसने देंगे नहीं
आखिर इसमें क्या परेशानी है?
आखिर एक सैनिक ने ही अपनी जान देने की क्यों ठानी है
उसके परिवार की क्या उन लोगो से दुश्मनी खानदानी है ?
या एक सैनिक की जान का मतलब सीधी सी कुर्बानी है ?
आखिर इसमें क्या परेशानी है?
जय हिन्द। भारत माता की जय।