ब्लिंकिट – जोमैटो डील, विवरण पढ़ने के लिए टैप करें
फूड डिलीवरी ऐप जोमैटो के शेयरधारकों के लिए रोलरकोस्टर राइड खत्म होने का नाम नहीं ले रही। पिछले साल 76 रुपये के इश्यू प्राइस से करीब 66 पर्सेंट प्रीमियम पर लिस्टिंग, फिर 16 नवंबर को 169 रुपये 10 पैसे का ऑलटाइम हाई और उसके बाद एक लंबी फिसलन, जो 11 मई को 50 रुपये 35 पैसे के ऑल टाइम लो तक ले आई। लेकिन हाल के दिनों में जोमैटो के शेयर ने दमदार ढंग से वापसी की है। पिछले हफ्ते जोमैटो-ब्लिंकिट डील (Zomato Blinkit Deal) पर भी मुहर लग गई। यह सौदा जोमैटो को काफी सस्ता पड़ा है। ऐसे में क्या यह उम्मीद का जा सकती है कि अब जोमैटो के दिन फिर गए हैं?
जोमैटो पिछले डेढ़ महीने में अपने ऑलटाइम लो से करीब 40 प्रतिशत चढ़ चुका है। इस तेजी के पीछे एक तो चौथी तिमाही के नतीजों के बाद कंपनी मैनेजमेंट के गाइडेंस का हाथ है, तो दूसरी वजह के पीछे ब्लिंकिट डील से जुड़ी उम्मीदें हैं।
पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में कंपनी ने 359 करोड़ रुपये का नेट लॉस दर्ज किया था। यह सालभर पहले की इसी तिमाही के 134 करोड़ रुपये के नेट लॉस के दोगुने से भी ज्यादा था। लेकिन इस नतीजे में एक खास बात यह रही कि कंसॉलिडेटेड रेवेन्यू पिछले साल की मार्च तिमाही में जहां 692 करोड़ रुपये था, वहीं इस बार यह बढ़कर 1212 करोड़ रुपये हो गया। यानी इसमें 75 पर्सेंट की बढ़त रही। मैनेजमेंट ने यह भी बताया था कि कंपनी के पास 12 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का अनरेस्ट्रिक्टेड कैश है। कंपनी ने आने वाली तिमाहियों कामकाजी लागत पर काबू पाने का वादा भी किया था। यह भी कहा था कि मार्जिन बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान रहेगा। शेयर प्राइस में पिछले कुछ हफ्तों में दिखी तेजी के पीछे इस पॉजिटिव नैरेटिव का बड़ा योगदान रहा।
और अब जोमैटो ने एक बहुत सस्ती डील भी कर ली है। उसके बोर्ड ने क्विक कॉमर्स स्टार्टअप ब्लिंकिट को खरीदने की मंजूरी दे दी है। ब्लिंकिट को पहले ग्रोफर्स (Grofers) के नाम से जाना जाता था। जोमैटो-ब्लिंकिट डील 4 हजार 447 करोड़ रुपये की है। पिछले साल जब खुद जोमैटो और न्यूयॉर्क की इनवेस्टमेंट फर्म टाइगर ग्लोबल ने ब्लिंकिट में 12 करोड़ डॉलर लगाए थे, तब ब्लिंकिट की वैल्यू एक अरब डॉलर मानी गई थी।
इस तरह से देखें तो जोमैटो ने ब्लिंकिट को करीब 40 पर्सेंट सस्ते में खरीद लिया। इस डील में एक और खास बात यह है कि जोमैटो का कैश नहीं लग रहा है। पैसे के बजाय जोमैटो के शेयर दिए जाएंगे। ब्लिंकिट के निवेशकों को 70 रुपये 76 पैसे प्रति शेयर के भाव पर जोमैटो में करीब 7 प्रतिशत हिस्सेदारी दी जाएगी।
डील की शर्त के अनुसार, ब्लिंकिट के निवेशकों को जोमैटो के ये शेयर 12 महीने तक होल्ड करने होंगे। जोमैटो के जो शेयर ब्लिंकिट के फाउंडर अलबिंदर ढींढसा को दिए जाएंगे, उसका आधा हिस्सा अगले 24 महीनों तक नहीं बेचा जा सकेगा। बाकी 50 प्रतिशत के लिए सालभर का लॉक-इन पीरियड होगा।
यह डील जोमैटो को क्या देगी, इसे ब्लिंकिट की खासियत से समझा जा सकता है। जनवरी में ब्लिंकिट ने पूरी तरह से क्विक कॉमर्स बिजनेस के रूप में काम करना शुरू किया था। उस महीने उसकी आमदनी लगभग 22 करोड़ रुपये रही, लेकिन मई में यह बढ़कर 58 करोड़ रुपये हो गई। इसकी ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू भी इस दौरान करीब 33 प्रतिशत बढ़कर 400 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई। ब्लिंकिट का कामकाज 15 शहरों में फैला है। ब्लिंकिट का ऐवरेज डिलीवरी टाइम 15 मिनट से कम है। ब्लिंकिट पर ऐवरेज ऑर्डर वैल्यू जोमैटो के मुकाबले ज्यादा है। मई में इसने करीब 79 लाख ऑर्डर दर्ज किए थे और ऐवरेज ऑर्डर वैल्यू 509 रुपये थी। ब्लिंकिट के दम पर जोमेटो को अपने हाइपरलोकल डिलीवरी फ्लीट का बेहतर उपयोग करने में भी मदद मिलेगी।
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