टोक्यो ओलम्पिक में भारत का प्रदर्शन
टोक्यो ओलम्पिक में भारत का प्रदर्शन
ओलम्पिक खेल का इतिहास
माना जाता है कि इन खेलों की शुरुआत 776 ई.पू. एथेंस से हुई थी विश्व के पहले आधुनिक ओलंपिक खेलों का आयोजन एथेंस ( यूनान ) में 1896 में किया गया एथेंस ओलंपिक खेलों में सिर्फ़ 14 देशों के 241 लोगों ने 43 मुक़ाबलों में हिस्सा लिया था
वर्ष 1900 में हुए पेरिस ओलंपिक में पहली बार कुल 22 महिलाओं ने शिरकत की थी अब तक सिर्फ तीन बार 1916 , 1940 और 1944 में इन खेलों के आयोजन को रोकना पड़ा ( कारणः प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध )
पहली बार यह खेल ग्रीक देवता ज्यूस के
सम्मान में खेला गया। ये खेल तब से चार वर्षों में एक बार 394 ई. तक
खेले गये, फिर रोम के राजा थियोडोसियस के आदेश के कारण
इन खेलों का आयोजन बंद कर दिया गया।
> अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति की स्थापना 1894 ई. में सखोन नामक स्थान पर हुई थी। इसका मुख्यालय लोसाने (स्विट्जरलैंड) में है।
ओलम्पिक विश्व के पाँच महाद्वीपों के प्रतिनिधित्व
करने के साथ ही निष्पक्ष एवं मुक्त स्पर्धा का प्रतीक है। नीला चक्र—यूरोप, पीला चक्र—एशिया, काला चक्र—अफ्रीका, हरा चक्र—आस्ट्रेलिया एवं लाल चक्र—उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका का प्रतिनिधित्व करता है ।
ओलम्पिक का उद्देश्य हैं — तेज, ऊँचा और बलवान । इसको ओलम्पिक के उद्देश्य के रूप में पहली बार 1920 में एंटवर्प (बेल्जियम) ओलम्पिक खेलों में
प्रस्तुत किया गया।
ओलम्पिक के इतिहास में भारत
वर्ष 1900 में नॉर्मन प्रिचर्ड ने पहले भारतीय प्रतिनिधि के रूप में ओलंपिक में हिस्सा लिया ; उन्होंने एथलेटिक्स में 2 सिल्वर मेडल्स जीते थे
भारत ने ओलंपिक के इतिहास में अब तक कुल 35 पदक अपने नाम किये हैं जिसमें वर्ष 1928 , 1932 , और 1936 में लगातार भारतीय हॉकी टीम ने तीन स्वर्ण पदक अपने नाम किये व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत को पहला पदक के . डी . जाधव ( कुश्ती ) ने हेलसिंकी ओलंपिक ( 1952 ) कांस्य पदक के रूप में दिलवाया ।
भारतीय ओलम्पिक परिषद की स्थापना 1924 ई. में की गयी थी और सर जे. जे. टाटा इसके प्रथम ‘अध्यक्ष’ थे।
अन्तर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की पहली भारतीय महिला सदस्य नीता अंबानी हैं। IOC ने 4 अगस्त 2016 को (129वें सत्र) 52 वर्षीय अंबानी को सदस्य के रूप में चुना । वह भारत से IOC की वर्तमान में एकमात्र सक्रिय सदस्य हैं। वह 70 वर्ष की उम्र तक इससे जुड़ी रहेंगी।
टोक्यो ओलम्पिक 2020
टोक्यो ओलंपिक ( 32 वां ) 2020 का समापन हो गया इसकी शुरुआत 23 जुलाई , 2021 को हुई थी इस ओलंपिक में 113 पदकों के साथ अमेरिका पहले , चीन दूसरे 88 पदक ) और जापान तीसरे स्थान ( 58 ) पर रहा
वहीं भारत 7 पदकों के साथ 48 वें स्थान पर रहा जो ओलंपिक में भारत का अब तक सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है
अगला ओलंपिक 2024 में पेरिस ( फ्रांस ) में आयोजित किया जाएगा
टोक्यो ओलम्पिक में भारतीय खिलाड़ियों की स्थिति
टोक्यो ओलंपिक 2020 भारत के लिए ऐतिहासिक रहा। इस ओलंपिक में जहां भारत ने सबसे ज्यादा मेडल जीतने का रिकॉर्ड बनाया, वहीं नीरज चोपड़ा ने जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीतकर एथलीट में मेडल का खाता खोला।
भारत ने इस ओलंपिक में रिकॉर्ड 7 पदक जीते हैं नीरज चोपड़ा ( स्वर्ण पदक ) , मीराबाई चानू ( रजत पदक ) , रवि कुमार दहिया ( रजत पदक ) , पी . वी . सिंधु ( कांस्य पदक ) , लवलीना बोरगोहेन ( कांस्य पदक ) , बजरंग पूनिया ( कांस्य पदक ) , पुरुष हॉकी टीम ( कांस्य पदक ) जीते।
भारत को इस ओलंपिक में पहला पदक मीराबाई चानू ने रजत पदक के रूप में दिलवाया उन्होंने 49 किग्रा वर्ग में भारोत्तोलन स्पर्धा में यह पदक जीता वहीं आख़िरी पदक के रूप में नीरज चोपड़ा ने भारत को स्वर्ण पदक दिलवाया
नीरज चोपड़ा व्यक्तिगत श्रेणी में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के दूसरे खिलाड़ी बने पहले खिलाड़ी अभिनव बिंद्रा थे ।
पी.वी. सिंधु कांस्य जीतते ही दो व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गयी हैं इससे पहले उन्होंने रियो ओलंपिक में रजत पदक जीता था पुरुष हॉकी टीम ने 41 साल बाद मनप्रीत सिंह की अगुवाई में ओलंपिक का कोई पदक ( कांस्य पदक ) अपने नाम किया ।
टोक्यो ओलम्पिक में भारत
भारत ने टोक्यो ओलंपिक्स में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 7 पदक जीते . लेकिन , टोक्यो ओलंपिक केवल भारत के नजरिये से ही अच्छा नहीं रहा . खेलों का ये महाकुंभ भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से इतर भी कई बातों के लिए याद किया जाएगा . टोक्यो ओलंपिक्स का समापन हो चुका है , लेकिन टोक्यो ओलंपिक 2020 भारत के लिए कई मायनों में न भूलने वाला ओलंपिक बन गया है . खेलों के महाकुंभ के पहले ही दिन भारत के लिए मीराबाई चानू ने सिल्वर मेडल जीत कर खुशियों से झोली भर दी थी . वहीं , इसके समापन से पहले जेवलिन थ्रो में नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक के साथ देश के करोड़ों लोगों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया था . इन दो पदकों के बीच में भारत के खाते में रवि दहिया ने सिल्वर , पीवी सिधु – लवलीना बोरगोहेन – बजरंग पुनिया और भारतीय हॉकी टीम ने कांस्य पदक के साथ भारतीयों का उत्साह सातवें आसमान पर पहुंचा दिया था . भारत ने टोक्यो ओलंपिक्स में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 7 पदक जीते
टोक्यो ओलम्पिक में भारत के पदक विजेता
भारत ने टोक्यो ओलंपिक में एक स्वर्ण सहित 7 पदक जीतकर इन खेलों में अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. इससे पहले भारत ने 2012 के लंदन ओलंपिक में 6 पदक जीत थे, लेकिन तब कोई गोल्ड नहीं आया था. भारत ने 13 साल बाद स्वर्ण पदक हासिल किया है ।
( 1 ) नीरज चोपड़ा: स्वर्ण पदक
भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण जीतने वाले केवल दूसरे भारतीय है. नीरज को तीन वर्षों से ओलंपिक में पदक का सबसे बड़ा भारतीय दावेदार माना जा रहा था और शनिवार को उनके 87.58 मीटर के थ्रो के साथ ट्रैक एवं फील्ड स्पर्धा में भारत को पहला ओलंपिक पदक विजेता मिला.
2016 जूनियर विश्व चैम्पियनशिप में 86.48 मीटर के अंडर-20 विश्व रिकॉर्ड के साथ ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद से वह लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. नीरज 2016 में ही भारतीय सेना में ‘चार राजपूताना राइफल्स’ में सूबेदार के पद पर नियुक्त हुए.
उनकी अन्य उपलब्धियों में 2018 राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक शामिल हैं. उन्होंने 2017 एशियाई चैम्पियनशिप में शीर्ष स्थान हासिल किया था.
(2) रवि दहिया: रजत पदक
हरियाणा के सोनीपत जिले के नाहरी गांव में जन्मे रवि ने पुरुषों के 57 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में रजत पदक जीत कर अपनी ताकत और तकनीक का लोहा मनवाया. रवि दहिया दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में प्रशिक्षण लेते हैं, जहां से पहले ही भारत को दो ओलंपिक पदक विजेता- सुशील कुमार और योगेश्वर दत्त मिल चुके हैं.
उनके पिता राकेश कुमार ने उन्हें 12 साल की उम्र में छत्रसाल स्टेडियम भेजा था. उनके पिता रोज अपने घर से 60 किमी दूर छत्रसाल स्टेडियम तक दूध और मक्खन लेकर पहुंचते थे. उन्होंने 2019 विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक का टिकट पक्का किया और फिर 2020 में दिल्ली में एशियाई चैम्पियनशिप जीती और अलमाटी में इस साल खिताब का बचाव किया.
(3) मीराबाई चनू: रजत पदक
मणिपुर की इस खिलाड़ी ने 24 जुलाई को ही पदक तालिका में भारत का नाम अंकित करा दिया था. उन्होंने 49 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीतकर भारोत्तोलन में पदक के 21 साल के सूखे को खत्म किया. इस 26 साल की खिलाड़ी ने कुल 202 किग्रा का भार उठाकर रियो ओलंपिक (2016) में मिली निराशा को दूर किया।
(4) पीवी सिंधु : कांस्य पदक
सिंधु को पहले से पदक का मजबूत दावेदार माना जा रहा था और उन्होंने कांस्य पदक जीतकर किसी को निराश नहीं किया. इस 26 साल की खिलाड़ी ने इससे पहले 2016 रियो ओलंपिक में रजत पदक जीता था, वह ओलंपिक में दो पदक जीतने वाली देश की पहली महिला और कुल दूसरी खिलाड़ी हैं.
(5) पुरुष हॉकी टीम: कांस्य पदक
भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीतकर इस खेल में 41 साल के सूखे को खत्म किया. यह पदक हालांकि स्वर्ण नहीं था, लेकिन देश में हॉकी को फिर से लोकप्रिय बनाने के लिए काफी है. ग्रुप चरण के दूसरे मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1-7 से बुरी तरह हारने के बाद मनप्रीत सिंह की अगुआई में टीम ने शानदार वापसी की.
सेमीफाइनल में बेल्जियम से हराने के बाद टीम ने कांस्य पदक प्ले ऑफ में जर्मनी को 5-4 से मात दी. पूरे टूर्नामेंट के दौरान मनप्रीत की प्रेरणादायक कप्तानी के साथ गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने शानदार प्रदर्शन किया.
(6) लवलीना बोरगोहेन: कांस्य पदक
असम की लवलीना ने अपने पहले ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया. वह विजेंदर सिंह और मैरीकॉम के बाद मुक्केबाजी में पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय खिलाड़ी हैं. 23 साल की लवलीना का खेलों के साथ सफर असम के गोलाघाट जिले के बरो मुखिया गांव से शुरू हुआ जहां बचपन में वह ‘किक-बॉक्सर ’ बनना चाहती थीं.
ओलंपिक की तैयारियों के लिए 52 दिनों के लिए यूरोप दौरे पर जाने से पहले वह कोरोना वायरस से संक्रमित हो गईं, लेकिन उन्होंने शानदार वापसी करते हुए 69 किग्रा वर्ग में चीनी ताइपे की पूर्व विश्व चैम्पियन निएन-शिन चेन को मात दी.
(7) बजरंग पुनिया: कांस्य पदक
बजरंग को स्वर्ण पदक का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा था. सेमीफाइनल में हार के बाद वह स्वर्ण पदक के सपने को पूरा नहीं सके, लेकिन कांस्य पदक जीतकर उन्होंने देश का नाम ऊंचा जरूर किया.
वह बचपन से ही कुश्ती को लेकर जुनूनी थे और आधी रात के बाद दो बजे ही उठ कर अखाड़े में पहुंच जाते थे. कुश्ती का जुनून ऐसा था कि 2008 में खुद 34 किलो के होते हुए 60 किलो के पहलवान से भिड़ गए और उसे चित कर दिया.
टोक्यो ओलम्पिक में भारत के लिए विशेष
तथा पिछले ओलम्पिक की तुलना में टोक्यो ओलम्पिक में भारत की स्थिति –
<span;>13 साल बाद स्वर्ण
टोक्यो से पहले भारत ने लंदन ओलंपिक 2012 में सबसे अधिक 6 पदक हासिल किए थे.13 साल बाद स्वर्ण पदक
भारतीय टीम ने 13 साल बाद ओलंपिक में स्वर्ण पदक का सूखा ख़त्म किया. टोक्यो में नीरज चोपड़ा ने भारत को स्वर्ण पदक दिलाया. उन्होंने 87.58 मीटर जैबलिन थ्रो (भाला फेंक) के साथ भारत की झोली में यह स्वर्ण पदक डाला. नीरज चोपड़ा पहली बार ओलंपिक खेलों में भाग ले रहे थे.
21 साल बाद वेटलिफ़्टिंग में पदक
टोक्यो ओलंपिक में भारत के पदकों का खाता पहले दिन ही मीराबाई चानू ने रजत पदक के साथ खोल दिया था.
उन्होंने भारोत्तोलन के 49 किलोवर्ग में कुल 202 किलो (87 किलो + 115 किलो) भार उठा कर भारत के लिए इस प्रतिस्पर्धा में 21 साल बाद ओलंपिक पदक हासिल किया. सिडनी ओलंपिक 2000 के 69 किलो भारोत्तोलन में कर्णम मल्लेश्वरी ने भारत के लिए कांस्य पदक जीता था।
सिंधु ने की सुशील कुमार की बराबरी
महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने टोक्यो में भारत को दूसरा पदक दिलाया. सिंधु ने रियो ओलंपिक में भी रजत पदक जीता था।
टोक्यो में कांस्य पदक जीतकर वे (पहली महिला) दूसरी ऐसे खिलाड़ी बन गईं, जिन्होंने व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा में दो ओलंपिक पदक हासिल किए हैं.
सुशील कुमार ने कुश्ती में बीजिंग ओलंपिक 2008 में कांस्य और लंदन ओलंपिक 2012 में रजत पदक हासिल किए थे.
भारत को 9 साल के बाद ओलंपिक बॉक्सिंग में पदक हासिल हुआ –
स्टार बॉक्सर लवलीना बोरगोहाईं ने टोक्यो ओलंपिक में यादगार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक अपने नाम किया. लवलीना 69 किलो वेल्टरवेट कैटिगरी के सेमीफ़ाइनल में तुर्की की वर्ल्ड नंबर-1 बॉक्सर बुसेनाज सुरमेनेली से हार गई थीं. उन्हें कांस्य पदक मिला.भारत को 9 साल के बाद ओलंपिक बॉक्सिंग में पदक हासिल हुआ. असम के गोलाघाट ज़िले की लवलीना बॉक्सिंग में ओलंपिक पदक हासिल करने वाली तीसरी भारतीय खिलाड़ी हैं.
उनसे पहले विजेंदर सिंह ने 2008 बीजिंग ओलंपिक और मेरी कॉम ने 2012 लंदन ओलंपिक में भारत के लिए बॉक्सिंग में कांस्य पदक हासिल किए थे.
41 साल बाद हॉकी में पदक
आठ बार के ओलंपिक चैंपियन भारतीय हॉकी टीम के लिए टोक्यो ओलंपिक बड़ी सफलता लेकर आया. भारतीय टीम लंबे अरसे के बाद ओलंपिक हॉकी के सेमीफ़ाइनल में पहुंची और वर्ल्ड नंबर-1 और टोक्यो में चैंपियन बनी बेल्जियम को कड़ी टक्कर देने के बाद हारी. लेकिन जब मुक़ाबला कांस्य पदक के लिए हुआ तो भारतीय टीम ने अपनी रफ़्तार से जर्मनी जैसी मज़बूत टीम को मात दी.
कांस्य पदक जीतने के साथ ही भारत का 41 सालों से ओलंपिक हॉकी में पदक का सूनापन ख़त्म हुआ. अब ओलंपिक हॉकी में भारत के आठ स्वर्ण, एक रजत और तीन कांस्य पदकों समेत 12 मेडल हो गए हैं.
यह टोक्यो में भारत का पांचवा पदक रहा. भारतीय टीम की इस सफलता की ओलंपिक में तीन बार गोल्ड जीत चुके पाकिस्तान में भी बहुत चर्चा हुई.
भारत की महिला हॉकी टीम ने भी टोक्यो में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया. भारतीय महिला हॉकी टीम पहली बार ओलंपिक खेलों के सेमीफ़ाइनल में पहुंची. हालांकि भारतीय टीम पदक जीतने से चूक गई और चौथे स्थान पर रही लेकिन महिला हॉकी के प्रदर्शन की देश विदेश में बहुत सराहना की गई.
टोक्यो पैरालंपिक में भारत का स्थान
टोक्यो: प्रेरणादायक, अविश्वसनीय और अदम्य।
भारत के पैरालिंपियन टोक्यो खेलों में एक युगांतरकारी अभियान में इन सभी और बहुत कुछ करने में कामयाब रहे, जहां पांच स्वर्ण सहित एक अद्वितीय 19 पदकों ने उन्हें समग्र रूप से 24 वें स्थान पर हस्ताक्षर करने में मदद की – जो अब तक का सबसे अधिक है ।
पैडलर भाविनाबेन पटेल ने पैरालंपिक के तीसरे दिन महिला एकल टेबल टेनिस वर्ग 4 वर्ग में रजत जीतकर भारत को निशाने पर लिया। भारत ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग स्टैंडिंग एसएच1 इवेंट में शूटर अवनी लेखारा के माध्यम से इवेंट का अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। कुछ दिनों बाद, उसने एसएच1 की शूटिंग के दौरान महिलाओं की 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में कांस्य पदक जीतकर एक और पदक जीता।
इसके अलावा, सुमित अंतिल ने कई विश्व रिकॉर्ड तोड़ते हुए, मनीष नरवाल और प्रमोद भगत ने भी शीर्ष सम्मान हासिल किया। अंतिम दिन, कृष्णा नगर ने एक और बैडमिंटन स्वर्ण जीता क्योंकि भारत कुल 19 पदकों के साथ पदक तालिका में 24वें स्थान पर रहा।
पैरालिंपियन में भारत के सभी पदक विजेताओं पर एक नज़र डालें –
1) भाविनाबेन पटेल – रजत पदक – महिला एकल टेबल टेनिस कक्षा 4 श्रेणी
गुजरात की भाविनबेन पटेल ने पैरालंपिक के तीसरे दिन पूरे देश में जश्न की लहर दौड़ा दी, जब उन्होंने भारत का पहला टीटी पैरालिंपिक पदक जीता। स्वर्ण पदक के मैच में वह चीन की झोउ यिंग से 7-11,5-11,6-11 से हार गईं।
2) निषाद कुमार – रजत पदक – पुरुषों की ऊंची कूद T47
निषाद कुमार ने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ और एशियाई रिकॉर्ड बनाकर रजत पदक जीता। 2.06 मीटर के उनके सर्वश्रेष्ठ प्रयास ने उन्हें रजत दिलाया, क्योंकि यूएसए के रोडरिक टाउनसेंड-रॉबर्ट्स ने 2.15 मीटर की विश्व-रिकॉर्ड-सेटिंग छलांग के साथ स्वर्ण का दावा किया।
3) अवनि लेखारा – स्वर्ण पदक – महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग एसएच 1 और कांस्य पदक – महिलाओं की 50 मीटर राइफल 3 स्थिति शूटिंग एसएच 1
अवनि लेखारा ने सोमवार को महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 स्पर्धा में टोक्यो पैरालिंपिक में निशानेबाजी में भारत का पहला पदक जीता। लेखारा ने फाइनल में 249.6 के कुल स्कोर के साथ विश्व रिकॉर्ड की बराबरी करते हुए स्वर्ण पदक जीता। पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनने वाली 19 साल की भी स्क्रिप्टेड हिस्ट्री
अवनी ने स्वर्ण पदक जीतने के बाद 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन एसएच1 कांस्य पदक अपने साथ जोड़ा, जिससे वह दो पैरालंपिक पदकों के साथ पहली भारतीय महिला बन गईं और खेलों के एक ही संस्करण में कई पदक जीतने वाली देश की दूसरी महिला बन गईं। लेखारा ने फाइनल में 445.9 का स्कोर बनाकर पदक जीता।
4) देवेंद्र झाझरिया – रजत पदक और
5) सुंदर सिंह गुर्जर – कांस्य पदक – पुरुषों की भाला फेंक F46
भारत के देवेंद्र झाझरिया ने पुरुषों की भाला फेंक – F46 फाइनल स्पर्धा में 64.35 के अपने सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ रजत पदक जीता, जबकि सुंदर सिंह गुर्जर ने इसी स्पर्धा में 64.01 के अपने सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ कांस्य पदक जीता। देवेंद्र ने अपने पैरालिंपिक करियर के दो स्वर्ण में एक रजत जोड़ा।
6) योगेश कथुनिया – रजत पदक – पुरुषों का चक्का फेंक F56
भारत के योगेश कथुनिया ने सोमवार को पुरुषों की डिस्कस थ्रो (F56) स्पर्धा में फाइनल में 44.38 मीटर का अपना सर्वश्रेष्ठ थ्रो दर्ज करके रजत पदक जीता। कथुनिया को केवल ब्राजील के विश्व-रिकॉर्ड धारक बतिस्ता डॉस सैंटोस क्लॉडनी ने सर्वश्रेष्ठ दिया, जिन्होंने स्वर्ण पदक जीतने के लिए 45.59 मीटर का थ्रो दर्ज किया।
7) सुमित अंतिल – स्वर्ण पदक – पुरुषों की भाला फेंक F64
भारत के सुमित अंतिल ने फाइनल में 68.85 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ पुरुषों की भाला फेंक (F64) स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने के लिए, पूरे आयोजन में कई स्मैश करने के बाद एक नया विश्व रिकॉर्ड बनाया।
8) सिंहराज अधाना – कांस्य पदक – पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल शूटिंग SH1
और रजत पदक – पुरुषों की P4 मिश्रित 50 मीटर पिस्टल SH1
39 वर्षीय निशानेबाज़ सिंहराज अधाना, जो पोलियो से पीड़ित हैं और खेलों में पदार्पण कर रहे थे, ने कुल 216.8 का स्कोर किया और छठे सर्वश्रेष्ठ निशानेबाज के रूप में आठ सदस्यीय फ़ाइनल के लिए क्वालीफाई करने के बाद तीसरे स्थान पर रहे।
9) मरियप्पन थंगावेलु – रजत पदक और
10) शरद कुमार – कांस्य पदक – पुरुषों की ऊंची कूद T42
ऊंची कूद (टी63) स्पर्धा में भारत के लिए यह दोहरी खुशी थी क्योंकि फाइनल में सितारों मरियप्पन थंगावेलु और शरद कुमार ने क्रमश: रजत और कांस्य पदक जीते। मरियप्पन ने 1.86 मीटर की छलांग लगाकर रजत पदक जीता। खेलों में यह उनका दूसरा पदक है, जो पहले ही रियो 2016 में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। इस बीच, शरद कुमार ने 1.83 मीटर के अपने सत्र के सर्वश्रेष्ठ अंक को हासिल करने के बाद कांस्य पदक जीता।
11) प्रवीण कुमार – रजत पदक – पुरुषों की ऊंची कूद T64
प्रवीण कुमार ने पुरुषों की ऊंची कूद टी64 वर्ग में 2.07 मीटर की छलांग लगाकर रजत पदक जीता। भारत की पदक तालिका को बेहतर बनाने के रास्ते में, 18 वर्षीय ने नया एशियाई रिकॉर्ड बनाया।
12) हरविंदर सिंह – कांस्य पदक – पुरुष व्यक्तिगत रिकर्व – ओपन तीरंदाजी
हरविंदर सिंह ने पैरालंपिक में भारत का पहला तीरंदाजी पदक हासिल किया, जिसने कोरिया के किम मिन सु को मौजूदा खेलों में पुरुषों के व्यक्तिगत रिकर्व कांस्य के लिए रोमांचक शूट-ऑफ में हरा दिया। कांस्य प्लेऑफ़ में, 31 वर्षीय कोरियाई ने 5-3 से बढ़त बना ली थी, इससे पहले कोरियाई ने पांचवें सेट की शूटिंग के लिए एकदम सही 10 की शूटिंग की, जहां भारतीय ने किम के 8 के खिलाफ 6- 5 (26-24, 27-29, 28-25, 25-25, 26-27) (10-8) जीत।
13) मनीष नरवाल – स्वर्ण पदक – पुरुषों की P4 मिश्रित 50 मीटर पिस्टल SH1
भारतीय निशानेबाज मनीष नरवाल ने असाका शूटिंग रेंज में पी4-मिक्स्ड 50 मीटर पिस्टल एसएच1 फाइनल में स्वर्ण पदक जीता।
14) प्रमोद भगत – स्वर्ण पदक – बैडमिंटन पुरुष एकल SL3
भारतीय शटलर प्रमोद भगत ने पुरुष एकल (SL3) स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर भारत की पदक दौड़ में इजाफा किया। उन्होंने फाइनल जीतने के लिए ग्रेट ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को 21-14,21-17 से हराया। यह भारत का पहला बैडमिंटन पैरालिंपिक पदक भी हुआ।
15) मनोज सरकार – कांस्य पदक – बैडमिंटन पुरुष एकल SL3
प्रमोद की जीत के कुछ मिनट बाद, और सचमुच में, भारत के मनोज सरकार ने पुरुष एकल (एसएल 3) बैडमिंटन स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। उन्होंने फाइनल में जापान के डाइसुके फुजीहारा को 22-20,21-13 से हराकर भारत की पदक तालिका को अंतिम दिन के करीब 17 तक ले गए।
16) सुहास एल यतिराज – रजत पदक – बैडमिंटन पुरुष एकल SL4
भारत के पैरा-शटलर सुहास एल यतिराज ने पैरालंपिक खेलों में रजत पदक जीता। पुरुष एकल बैडमिंटन SL4 इवेंट के फाइनल में यतिराज फ्रांस के लुकास मजूर से हार गए। फाइनल में यतिराज मजूर से 21-15, 17-21, 15-21 से हार गए। 38 वर्षीय गौतम बौद्ध नगर (नोएडा) के जिलाधिकारी हैं। सुहास पैरालिंपिक में पदक जीतने वाले पहले आईएएस अधिकारी भी बने।
17) कृष्णा नगर – स्वर्ण पदक – बैडमिंटन पुरुष एकल SH6
भारत के पैरा-शटलर कृष्णा नागर ने पुरुष एकल बैडमिंटन SH6 स्पर्धा के फाइनल में हांगकांग के चू मान काई को हराकर स्वर्ण पदक हासिल किया। नागर ने मान काई को 21-17, 16-21 और 21-17 से हराया क्योंकि भारत पैरालंपिक खेलों में 19 के रिकॉर्ड पदक के साथ समाप्त हुआ।
इस तरह भारत टोक्यो ओलंपिक 2020 भारत के लिए ऐतिहासिक रहा। इस ओलंपिक में जहां भारत ने सबसे ज्यादा मेडल जीतने का रिकॉर्ड बनाया है ।
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम देशवासियों की उम्मीदों पर खरी उतरी है। टूर्नामेंट शुरू होने से पहले कहा जा रहा था कि इस बार भारतीय टीम ओलंपिक इतिहास में सबसे अच्छा प्रदर्शन करेगी। ऐसा हुआ भी। टीम ने कमाल का खेल दिखाया और खुद को इतिहास के पन्नों में दर्ज कराया।