विश्व मानचित्र पर भारत का बढ़ता प्रभाव
“यूनान ओ मिस्र ओ रूमा सब मिट गए जहाँ से
अब तक मगर है बाक़ी नाम-ओ-निशाँ हमारा
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा”
उर्दू शायर इक़बाल की ये पंक्तियां सदैव प्रासांगिक है। ये सच है कि कुछ तो बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।
हम सभी जानते हैं कि अफ्रीका को मानव का जन्मस्थली माना जाता है, लेकिन भारत को मानव और मानवता का पालना कहा जाता है क्योंकि भारत में सबसे पहले मनुष्य सभ्य बने। मेसोपोटामिया की सभ्यता भले ही विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता है लेकिन कुछ समय बाद वह समाप्त हो गयी। हालांकि भारत की हड़प्पा कालीन सभ्यता विश्व की पहली विकसित और शहरी सभ्यता थी।
भारत को ‘सोने की चिड़ियां’ कहा जाता था। अंग्रेज सहित बहुत सारे बाह्य आक्रमणकारियों ने भारत को लूटा। इससे भारत गरीब हो गया और गुलामी की जंजीरों में पड़ गया, लेकिन ‘कुछ तो बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।’ भारत ने इन गुलामी की जंजीरों को तोड़ते हुए एक बार फिर से विश्व मानचित्र पर पहले से ज्यादा गहरी छाप छोड़ने आ चुका है। यही कारण है कि भारत पर अमेरिका ने ‘भारत के परमाणु परीक्षण’ करने के कारण जो आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया था, उसे अमेरिका ने हटाया और भारत को परमाणु संपन्न मानते हुए उभरी हुई अर्थव्यवस्था के रुप में मान्यता दिया। तात्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2009 में कहा था कि भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है। इतना ही नहीं, ओबामा ने 2010 में भारत दौरे के समय यह भी कहा कि भारत अब उभरती हुई नहीं बल्कि बल्कि उभर चुकी शक्ति बन गया है। और इस तरह वर्ष 2010 में भारत-अमेरिका के बीच सम्पन्न ‘परमाणु समझौता’ ने भारत को वैश्विक महाशक्ति के रुप में उभार दिया। 2010 में ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँचों स्थायी सदस्यों यथा अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्रांस राष्ट्राध्यक्षों ने भारत का दौरा किया, जो यह बताता है कि भारत दुनिया के लिए कितना महत्व रखता है। अब भारत खुद भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए प्रयास कर रहा है। चीन को छोड़कर अन्य चारों देश भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन करता है।
भारत वर्तमान में दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और जीडीपी 3 ट्रिलियन डॉलर हो चुकी है। 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर के साथ विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की होड़ में लगा हुआ है। यह सपना जल्द ही सच भी होगा क्योंकि भारत विश्व में सबसे तेजी से विकास कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में सर्वाधिक तेजी से आगे बढ़ेगी और ग्रोथ रेट 10.5% रहेगा। 643 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा के साथ भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है, जिसके पास सर्वाधिक मात्रा में विदेशी मुद्रा है। जो आज से 20-25 साल पहले एक ऐसा वक्त था, जब भारत की सरकार ने कह दिया था कि भारत के पास मात्र 15 दिनों के खर्चें के लिए विदेशी मुद्रा बची हुई है। आज भारत फिर से अपनी मजबूत स्थिति में खड़ा हो चुका है।
किसी भी देश का विकास तभी हो सकेगा जब वहां ऊर्जा की खपत अधिक हो और ऊर्जा की उपलब्धता भी अधिक हो। भारत अब इसी पर कार्य कर रहा है। भारत सहित दुनिया के तमाम देश ग्लासगो में हुए 26 वें COP की बैठक में यह निर्णय लिया है कि पर्यावरण और जलवायु को कम नुकसान करने के कारण सभी पेट्रोल-डीजल और अन्य कार्बन उत्सर्जन करने वाले ऊर्जा से अक्षय और क्लीन ऊर्जा की ओर बढ़ेंगे। भारत इसी दिशा में बहुत पहले से कार्य कर रहा है। उदाहरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सौर संगठन का संस्थापक भारत रहा है, जिसका हेडक्वाटर भी गुरूग्राम हरियाणा में है। भारत 2070 तक ‘नेट जीरो’ करने का भी लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्तमान में भी अक्षय ऊर्जा क्षमता के मामले में दुनिया में चौथा, सौर ऊर्जा मामले में 5वां और स्थापित पवन ऊर्जा में चौथा स्थान रखता है। भारत गुजरात के कच्छ के रण में भारत का सबसे बड़ा 4750 मेगावाट अक्षय ऊर्जा पार्क स्थापित करेगा। भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा खपत करने वाला राष्ट्र है, जो विकास का घोतक है
भारत अर्थव्यवस्था के साथ साथ देश की सुरक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध है, इसलिए जो भारत पहले हिन्दी-चीनी भाई भाई समझकर चीन को ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाहता था, वही अब मुखर होकर चीन को प्रत्यक्ष रुप से घेरने लगा है। तीनों सेनाओं के प्रमुख बिपिन रावत ने खुलकर यह बात की है कि भारत के लिए सबसे बड़ा खतरा चीन है ना कि पाकिस्तान।
भारतीय संस्कृति अब वैश्विक संस्कृति बन रही है। अमेरिका के संसद भवन ‘व्हाइट हाउस’ सहित कई देशों में दिवाली मनाना जाने लगा है। दिवाली को अमेरिका में पब्लिक हॉली डे के रुप में मान्यता देने की पहल की जा रही है। इतना ही नहीं, भारत में विभिन्न धार्मिक त्योहार छठ, होली, दिवाली, दुर्गापूजा, कृष्णाष्टमी समेत अन्य त्योहारों की विश्व भर में प्रसद्धि हासिल करने लगा है।
आज हिन्दी का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। हिन्दी को लगातार यूएनओ की आधिकारिक भाषा का मान्यता दिलाने के लिए के प्रयास किये जा रहे हैं। हिंदी आज विदेशों में भी बोली जाती है जैसे फीजी, नेपाल, त्रिनिदाद, इंग्लैड, श्रीलंका, सूरीनाम इत्यादि। गौरतलब है कि नेपाल में तो स्कूलों में शिक्षा के साथ साथ हिंदी प्रमुख भाषा के रूप में बोली जाती है। इसके अलावा इंग्लैंड, इटली, अमेरिका के विश्वविद्यालयों में हिंदी में उच्च स्तरीय अध्यापन की व्यवस्था है। गुगल, फेसबुक, एप्पल, व्हाट्सऐप, अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, के बाद लिंकडिन भी अब हिन्दी भाषा में उपलब्ध हो गया है। हिन्दी भाषा का बॉलीवुड विश्व का दूसरा सबसे बड़ा फिल्म उद्योग है और बॉलीवुड ने भारत की छवि को वैश्विक स्तर पर उभारने के काफी मदद की है। आज बॉलीवुड के फिल्में और गानों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिली है।
हाल ही में ग्लासगो में विश्व पर्यावरण के सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडेन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री बॉरिश जॉनसन के कंधों पर एक साथ हाथकर जो फोटो वायरल हुआ, वह महज़ एक फोटो नहीं बल्कि विश्व पटल पर भारत के महत्ता को दर्शाता है, जो कभी उसी ब्रिटेन का गुलाम था और आज इतना आगे बढ़ चुके हैं अमेरिका-ब्रिटेन की बराबरी या उससे आगे का कार्य करते हैं और ये देश इनकी बातों को अहमियत देते हैं। आज भी जब पाकिस्तान का राष्ट्राध्यक्ष जब अमेरिका जाता है तो वहां के किसी सामान्य ऑफिसर को इनके स्वागत के लिए भेज देते हैं लेकिन कुछ समय पहले जब डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में थे तो वो भारतीय प्रधानमंत्री के आगमन पर खुद उनके स्वागत के लिए हवाई अड्डा पहुंचे थे।
भारत की गौरव गाथा के किस्से काफी ज्यादा है, लेकिन जहां ढ़ेर सारी अच्छाई है वहां कुछ कमियां भी होती है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत में अभी भी जात-पात, गरीबी, भूखमरी, अशिक्षा, बेरोजगारी, नक्सलवाद, आतंकवाद और देश में संसाधनों की कमी जैसी तमाम समस्याएं है। हाल ही में जारी भूखमरी सूचकांक 2021 मेें विश्व के 116 देशों की रैकिंग में 101वां स्थान है। वहीं पाकिस्तान 92, चीन 5, बंगालदेश 76, श्रीलंका 65, अफगानिस्तान 103, नेपाल 77 नंबर पर है। मानव विकास सूचकांक में 191 में 131 स्थान पर है। विश्व हैप्पीनेस/खुशिहाली रिपोर्ट में 149 देशों में 131वें स्थान पर है, जो कि काफी खराब स्तिथि को दर्शाता है। इसके लिए भारत को प्रतिबद्धता के साथ कार्य करना होगा। भारत 1.2 अरब के साथ विश्व दूसरी सबसे बड़ी आबादी है।
भारत जनसांख्यिकी लाभांश का ज्यादा फायदा नहीं उठा पा रहा है लेकिन जिस तरीके से अब विकासात्मक और आत्मनिर्भर भारत के लिए कार्य शुरु हुआ है, वह निश्चिय ही भारत की इन समस्याओं से निपटने में मदद करेगा।भारत मुद्रा योजना, पीडीएस, स्मार्ट सिटी, आवास योजना, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट अप, मेक इन इंडिया, आयुष्मान भारत जैसे सैकड़ों योजनाएं चलायी जा रही है, जो निश्चित रूप से आगामी वर्षों में इन समस्याओं के निजात के साथ साथ भारत की छवि को इन मामलों में सुधारेगा।
निशांत निलय हमारी सालाना आयोजित हिंदी प्रतियोगिता 2021 के सांत्वना पुरस्कार विजेता हैं।