हिंदी प्रतियोगिता

विश्व मानचित्र पर भारत का बढ़ता प्रभाव

आस्था,

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भारत जो पूरे विश्व में अपनी विविधताओं के कारण एक अलग पहचान बनाए हुए है, जिसने अपनी धरती पर रामायण की कथा से लेकर आज के भारत बनने तक का सफ़र तय किया है। जहां सर्वप्रथम एक परिपक्व सभ्यता का विकास हुआ। इतिहास को शुरू से देखा जाए तो भारत प्राचीन समय से ही अपनी छाप विश्व के मानचित्र पर अंकित किए हुए था और आज भी किए हुए है। “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना भारतीय संस्कृति का मूल मंत्र सदैव रहा है। भारत ने अपनी सीमा पर बड़े से बड़े मुश्किल पड़ावों को बहुत ही बेहतरीन तरीके से पार किया है और आज भी करता आ रहा है। किसी भी देश की प्रसिद्धि उसकी मजबूत नींव एवं अपनी संस्कृतियों और परंपराओ का हाथ थाम कर विकास की राह पर आगे बढ़ना है तथा भारत इसका एक अच्छा उदाहरण है। भारत ने अपने अंदर न जाने कितनी सदियों की विरासतों को समेटा हुआ है और एक राष्ट्र “हिंदुस्तान” के नाम से विश्व के मानचित्र पर उभरा है। भारत की ही प्रसिद्धि है जो आज देश विदेश में लोग भारत के खान-पान, रहन-सहन व पहनावे की तरफ आकर्षित हो रहे है। अमेरिकी लेखक मार्क ट्वेन भारत के संदर्भ में लिखते है की- “India is the cradle of the human race, the birthplace of human speech, the mother of history, the grandmother of legend and the great-grandmother of tradition.” भारत की धरती पर रचे वेद, उपनिषद ,काव्य, महाकाव्य आज पूरे विश्व में वैज्ञानिक, आध्यात्मिक तथा सामाजिक दृष्टि से पढ़े व समझे जाते है। यह धर्मग्रंथ आज के दौर में भी प्रासंगिक हैं। जिसका अनुवाद कई अलग-अलग भाषाओं में हुआ। अगर शैक्षणिक संस्थान को भारत की दृष्टि से देखें तो तक्षशिला, विक्रमशिला और नालंदा महाविहार जो पूरे विश्वभर में सर्वश्रेष्ठ शिक्षा के केंद्र माने जाते थे, यह राजनीति, आयुर्वेद, विधिशास्त्र, तंत्र विद्या और शस्त्रविद्या की पढ़ाई होती थी। यहां पढ़ने के लिए कई विदेशी यात्री आए जैसे – ह्वेनसांग, इत्सिंग आदि। और अलग अलग विश्व के हिस्सों से जैसे इंडोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड, कोरिया, जापान आदि। 

प्राचीन काल से ही भारत के साथ व्यापार को यूरोपियनों ने अत्यधिक महत्व दिया था। परंतु धीरे-धीरे भारत अंग्रेजों के लिए व्यापार के उद्देश्यों से हटकर शासन के उद्देश्यों में कब परिवर्तित हो गया पता ही नहीं चला। अंग्रेजों की इसी गुलामी से बाहर निकलने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, भगत सिंह, लाला लाजपत राय तथा अन्य स्वांत्रता सेनानियों का योगदान अमूल्य है, महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में फैले रंगभेद से आज़ाद कराया और वहां के नागरिको को इस गुलामी के अंधेरे से मुक्त कराया और आजादी का सूत्रपात किया। इसके आलावा, विश्व में शीतयुद्ध के दौरान भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति को अपनाया तथा संपूर्ण विश्व को शांति व सुरक्षा का संदेश दिया और नए-नए आज़ाद राष्ट्रों के विकास के लिए कार्यरत रहा। 30 अक्टूबर 1945 को भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अपनी जगह बनाई और संयुक्त राष्ट्र संघ में शांति व सुरक्षा के लिए कम किया| आज़ादी के बाद भारत धीरे धीरे प्रगति की राह पर अग्रसर होता गया। भारत ने लोकतंत्र और साथ ही गणतंत्र राष्ट्र को अपनाया तथा विश्व के सबसे लंबे संविधान की रचना की। भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र राज्य बना और साथ ही आत्मनिर्भर भारत बनने के सपने को सकार रूप दे रहा है। राजभाषाओं की उच्चतम संख्या के रूप में भारत को जाना जाता है| भारत में 22 आधिकारिक भाषाएं हैं। भारत की नीति शुरुआत से ही शांति स्थापित करना, बाहरी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखना और छोटे – बड़े सभी राष्ट्रों की संप्रभु समानता की भावना का सम्मान करना है | आर्थिक रूप से बात करे तो भारत ने मुक्त व्यापार की नीति को अपनाया तथा भारत ने बाकी देशों से आई वस्तुओं पर लगे शुल्क को घटा दिया है। एशिया, अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका के देशों के साथ भारत के घनिष्ठ आर्थिक संबंध है । यह एक ‘पूर्व दृष्टि’ की नीति का अनुसरण करती है जो जापान और दक्षिण कोरिया , आसियान देशों, के साथ अनेक मुद्दों के बीच साझीदारी को सुदृढ़ बनाने के लिए कार्यरत है, विशेष रूप से आर्थिक निवेश तथा क्षेत्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे।

भारत के संदर्भ में अगर कला की बात की जाए तो भारत अपनी कलाओं में श्रेष्ठ व सम्पन है जैसे – रंगमंच, संगीत कला, नृत्य कला, वास्तुकला, मार्शल आर्ट्स, साहित्य, विज्ञान, खगाोलशास्त्र, धर्म एंव दर्शन। भारत के सामाजिक परिवेश को देखकर अरबी यात्री इबन बतूता ने भी अपनी पुस्तक “रिहाला” में उन्होंने १४ वीं शताब्दी के भारतीय उपमहाद्वीप के सांस्कृतिक व सामाजिक जीवन के विषय में बहुत ही प्रचुर और सबसे रोचक जानकारियां दी थीं। ऐसे ही एक और अरबी लेखक अल बिरूनी ने अपनी पुस्तक “उल हिंद” में भारतीय सामाजिक व राजनीतिक परिवेश के बारे में लिखा और यहां के नागरिकों की धार्मिक भावनाओं को भी अपनी पुस्तक के जरिए उजागर किया| भारतीय वास्तुकला अपनी सुंदरता के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टि से भी संपन्न और समृद्ध है जैसे – बनारस दुनिया के प्राचीन लगातार बसे हुए शहरों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के तट पर स्थित है। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने सातवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में इस शहर का दौरा किया था तथा उन्होंने शहर को धर्म और कलात्मक गतिविधियों का केंद्र बताया| महाराष्ट्र में स्थित मुरुदु जंजीर किला जिसे समुंद्र के बीचों बीच बानाया गया है यह समुंद्र जल विज्ञान का एक अद्भुत नमूना माना जाता है। दिल्ली में स्थित जंतर – मंतर जिसमें विशिष्ट रूप में अनेक आकृतियां शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में खगोलीय माप के लिए विशिष्ट कार्य किया गया है। भारत UNESCO की “सुपर 40 क्लब” में शामिल हैं, जहां केवल अकेले भारत की 40 भव्य धरोहर स्थल इस सूची में शामिल हैं, जो स्वयं में गर्व और राष्ट्रीय धरोहर के लिए सम्मान का विषय है। विश्व भर से लाखों करोड़ों लोग इन स्थलों की ऐतिहासिक धरोहर को देखने और भारत में इनकी महत्वता को जानने हर साल आते रहते हैं। भारत दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा की मेजबानी के लिए प्रसिद्ध है, जिसे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के नाम से जाना जाता है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का आकार न्यूयॉर्क के लिबर्टी से दोगुना है। फिल्मों की संख्या के संदर्भ में भारतीय फिल्म उद्योग विश्व में सबसे बड़ा है। भारत हर साल हिंदी और क्षेत्रीय भाषा में 1500 से 2000 फिल्म का निर्माण करता हैं।

           मॉर्डन इंडिया ने विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी पर विशेष बल दिया है। वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में भारत विश्व के सर्वोच्च देशों में से एक है जो अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में शीर्ष पांच राष्ट्रों में से एक है। भारत नियमित रूप से अंतरिक्ष मिशन को चलाता रहा है, जिसमें चंद्रमा तथा मशहूर ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान भी सम्मिलित हैं। चिकित्सा विज्ञान की दिशा में देखें तो आयुर्वेद चिकित्सा की एक प्राचीन प्रणाली जो भारत में वैदिक काल के दौरान उत्पन्न हुई थी। 800 ई. पू जन्मे भारतीय चिकित्साशास्त्री और शल्यचिकित्सक “सुश्रुत” ने पहली बार प्लास्टिक सर्जरी की थी तथा इन्हे शल्यचिकित्सा का जनक कहा जाता है। मेलबर्न स्थित रॉयल ऑस्ट्रेलियन कॉलेज ऑफ़ सर्जन्स में सुश्रुत की एक मूर्ति स्थापित की गई है। कॉलेज में इनके द्वारा चिकित्सा के क्षेत्र में लिखी गयी महत्वपूर्ण पुस्तकों का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद भी उपलब्ध हैं, जिसे ‘सुश्रुता संहिता’ के नाम से जाना जाता है। प्राकृतिक वैज्ञानिक व दार्शनिक आचार्य कणाद ने सबसे पहले परमाणु संरचना पर प्रकाश डाला। भारत के ऐसे कई आचार्य है जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में अपना योगदान दिया जैसे – चरक, नागार्जुन, भास्कराचार्य, वराहमिहिर इत्यादि। अब्दुल कलाम जी का नाम भी विज्ञान के क्षेत्र में विस्मरणीय है। अब्दुल कलाम जी ने वैज्ञानिक एवं विज्ञान प्रशासक के रूप में, मुख्य रूप से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में बिताया और भारत के असैनिक अंतरिक्ष कार्यक्रम तथा सैन्य प्रक्षेपास्त्र विकास प्रयासों में घनिष्ठ रूप से कार्यरत रहे। इस प्रकार वे बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र के विकास और लांच यान प्रौद्योगिकी पर कार्य करने के लिए भारत के “मिसाइल मैन” के नाम से जाने गए। वह भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में चुने गए। भारत के पोखरण द्वितीय परमाणु परीक्षण में पहली बार 1974 में भारत के पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षण में महत्वपूर्ण संगठनात्मक, तकनीकी तथा राजनीतिक भूमिका निभाई। हाल- फिलाल में नासा और इसरो पृथ्वी अवलोकन के लिए एक संयुक्त माइक्रोवेव रिमोट उपग्रह को स्थापित करने के लिए दोनों ऐजेंसिया मिलकर कार्य कर रहे है| जिसका नाम NASA-ISRO (NISAR) है| 

विश्व की सर्वाधिक शक्तिशाली सेनाओं में भारत चौथे पायदान पर आता है। भारत में कुल 4184 लड़ाकू टैंक और 2082 विमान हैं। एक विमानवाहक पोत और कुल 295 नौसेना संपत्तियां हैं। भारत का कुल रक्षा बजट 55.2 अरब डॉलर का है। ग्लोबल फायरपावर के अनुसार विश्व की 15 शक्तिशाली सेनाओं में क्रमश: अमेरिका, रूस, चीन, भारत, फ्रांस, जापान, दक्षिण कोरिया, युनाइटेड किंग्डम, तुर्की, जर्मनी, इटली, मिस्र, ब्राजील, ईरान और पाकिस्तान शामिल हैं। नौसेना की दिशा में देखे तो 1964 में बनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) आज भारत के अब तक के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के रूप में अपना स्थान बना चुकी है। पिछले साल अगस्त में भारत ने पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत को समुद्र में उतारकर एक बड़ी उपलब्धि को हासिल किया है। “आकाश मिसाइल” भारत का स्वदेशी रूप से निर्मित “मध्यम श्रेणी का एसएएम” है जो कई दिशाओं से कई लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है और इसे “युद्ध के टैंक या पहिएदार ट्रक जैसे मोबाइल प्लेटफॉर्म से लॉन्च किया जा सकता है।

चार प्रमुख धर्मों – हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म की उत्पत्ति भारत में हुई तथा इन धर्मों का पालन विश्व की लगभग 25 प्रतिशत आबादी करती है। भारत मध्यकाल से ही भक्ति का केंद्र रहा है, इस भूमि से भक्तिकाल की शाखाएं पूरे विश्वभर में फैली है तथा इसके परिणामस्वरूप इस्कॉन संस्था भारत समेत 16 देशों में भी स्थापित है जिसमें विदेशी नागरिक धार्मिक मूल्यों के साथ – साथ दान दक्षिना का कार्य करते है तथा भारतीय ग्रंथों का पठन- पाठन करते । विश्व के अलग अलग हिस्सों से आए लोग हिंदू धर्म के बारे में पढ़ते है और यह की धार्मिक भावनाओं के साथ जुड़ कर इसी परिवेश में रम जाते है। बहुत से ऐसे विदेशी प्रवासी है जो अपने देशों से भारत में आध्यात्म की शिक्षा लेने आते है तथा यही पर कुछ समय बिताते है। भारत के वृंदावन, ऋषिकेश, मथुरा में अनेक विदेशी अपने देशों से आकर रहते है। भागवतगीता का पठन-पाठन व प्रचार प्रसार भारत समेत विश्व के अन्य देशों में भी होता है। प्रयागराज में आयोजित कुंभ के मेले में भी बहुत से देश विदेश से आए लोगों को देख सकते है| हम सब गौतम बुद्ध से परिचित है जिन्होंने विश्व को अष्टांग योग से परिचित कराया और बौद्ध धर्म (Buddhism) को स्थापित किया उन्होंने “ध्यान प्रक्रिया” को महत्व दिया। वह भारत की भूमि से बाहर निकल कर एशिया महाद्वीप के कई हिस्सों में फैला, ऐसे कई देश हैं जिन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया जैसे म्यांमार, कंबोडिया, चीन, सिंगापुर, वियतनाम इत्यादि। 

 

किसी भी देश की भाषा में उस देश की संस्कृति, परंपराएं, सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक व उस देश का इतिहास समाहित होता है। भारत की राजभाषा हिंदी आज भारत के साथ साथ भारत के बाहर के देशों में भी बोली जाती है जैसे – फीजी, नेपाल, इंग्लैड, श्रीलंका, त्रिनिदाद, सूरीनाम आदि। नेपाल में हिंदी प्रमुख भाषा के रूप में बोली जाती है और यह के स्कूलों में हिंदी पढ़ाई भी जाती है। इंग्लैंड, इटली के विश्वविद्यालयों में हिंदी में एम. ए तथा पीएचडी स्तक अध्ययन – अध्यापन की व्यवस्था है। जापान में भी बड़ी संख्या में लोग हिंदी भाषा को जानते हैं। हिंदी साहित्य की ओर देखे तो भारतीय साहित्य का विस्तार न केवल साहित्यिक दृष्टि से व्यापक हैं अपितु यह स्वयं में सम्पूर्ण विश्व की विविधता को भी सम्मिलित किए हुए हैं, भारतीय साहित्यकारों की रचनाएं भारत समेत पूरे विश्व में पढ़ी और सुनी जाती रही हैं। उपन्यास सम्राट प्रेमचंद, मोहन राकेश, भारतेंदु हरिश्चंद्र, आचार्य शुक्ल आदि के उपन्यास और नाटकों को विश्व पटल पर मंच और नए पाठक मिलते रहे हैं। इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि साहित्य समाज का दर्पण होता है यह उक्ति भारतीय साहित्य में पूर्ण रूप से उचित है, यहां समाज के हर वर्ग, लिंग, जाति, समस्या, मनोरंजन आदि संदर्भो में सभी साहित्यकारों ने अपनी अपनी रचनाएं प्रकाशित कि हैं, जिनका अनुवाद अंग्रेज़ी समेत कई भाषाओं में किया गया है। जिन विषयों को बाहर समाज में दरकिनार या नकारा गया है उन विषयों पर भी भारतीय साहित्यकारों ने अपनी रचना को रचा और उनकी अभिव्यक्ति की है, बेल्जियम के ‘ रैम्सचैपल ‘ गांव के डॉ . कामिल बुल्के भारत एक मिशनरी के रूप में आए थे परंतु यह की खूबसूरती को देख यहीं के हो के रह गए। कामिल बुल्के हिंदी भाषा – साहित्य पर काम करते – करते हिंदी भाषा के शब्द – संपदा से कुछ इस तरह प्रभावित हुए कि उन्होंने एक शब्दकोश Technical English Hindi Dictionary ही रच दिया। कामिल बुल्के आजीवन हिन्दी की सेवा में लगे रहे।

प्राचीनकाल से ही भारत में खेलों की झलक मिलती है| माना जाता है कि शतरंज का खेल अपने वर्तमान स्वरूप में “चतुरंग” नामक एक प्राचीन भारतीय रणनीति खेल से उत्पन्न हुआ है और भारत से यह खेल अरब और फिर यूरोप के विभिन्न हिस्सों में फैल गया। भारत ने विश्व स्तर पर हर क्षेत्र में अपना योगदान दिया है और खेल का क्षेत्र उनमें से एक है| खेल के क्षेत्र में भारत ने अपनी छाप पूरे विश्व में छोड़ी है| सन 1950-1960 के बीच पहली भारतीय फूटबाॅल टीम ने विश्व में अपनी जगह में भारत को रेसलिंग में कंस्य पदक जीतने वाले वह पहले भारतीय थे| ऐसे कई नामी चेहरे है जिन्होंने विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व कर भारत को गोरान्वित किया| यह नामी चेहरे है – मिल्खा सिंह, रामानाथान कृष्ण, पी.टी ऊषा, प्रकाश पदुकोण, महेश भुपति, अंजु बॉबी। अभिनव ने भारत को स्वर्ण पदक से भारत के मान को बढ़ाया और इसी क्रमानुसार 13 साल बाद नीरज चोपड़ा ने भारत को स्वर्ण पदक से भारत का नाम रोशन किया हैं। पेरा-ओलंपिक में भारत ने 5 स्वर्ण, 8 चांदी और 6 कंस्य पदक की जीत दिलायी है|   

भारतभूमि पर ऐसे कई विद्वानों ने जन्म लिया जिन्होंने बाहर देश विदेश में भारत को ऊंचे मुकाम पर पहुंचाया और आज भी भारत के रुख को प्रगति और विकास की दिशा दे रखी है जैसे – भारतीय गणितज्ञ – खगोल शास्त्री आर्यभट्ट ने दुनिया को बताया कि पृथ्वी अपनी ही धुरी पर घूमती है और इन्होंने ही जीरो का परिचय दिया। प्रसिद्ध संत विवेकानंद ने अमेरिका में स्थित शिकागो में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया। बाहर विदेशों में नागरिकों को सनातन धर्म के महत्व को समझते हुए सनातन धर्म के पहलुओं से अवगत कराया | योग जो आज पूरे विश्व में प्रसिद्ध है तथा विश्व के हर कोने में इसे अपनाया जाता है वह योग भारत के प्रसिद्ध ऋषि पतंजलि ने योग के सूत्र में बताया इसके उपरांत बाबा रामदेव ने योग के प्रति जागरुकता लाने के लिए न सिर्फ अपने ही देश में बल्कि विदेशों में भी योग शिविरों का आयोजन किया| दक्षिण पूर्व, तिब्बत, एशिया, जापान और श्रीलंका में फैला और आज इससे पूरा विश्व भली-भांति परिचित है।भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नें 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण दिया और पहली बार यह दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया जिसमें जनसामन्य से लेकर शिक्षक – विद्यार्थी, डॅाक्टर, कला जगत के लोग, व्यावसयिक जगत के लोगो से लेकर घरेलू गृहणियो ने भी उसमे हिस्सा लिया। भारतीय उद्योगपति जमेश्तजी टाटा (फादर ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) जिन्होंने भारतीय नागरिकों को ओलंपिक में स्थान दिलाया तथा टाटा कंपनी को बाहर से परिचित कराया। ऐसे ही महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन ने दुनिया को संख्या सिद्धांत के क्षेत्र में योगदान दिया। 1953 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बनने वाली विजयलक्ष्मी पंडित विश्व की पहली भारतीय महिला थीं। दादाभाई नौरोजी टाटा ने ब्यूटी ब्रांड लक्मे (पहले लक्ष्मी) के भी संस्थापक रहे और आज यह लक्मे के प्रोडक्ट पूरे विश्वभर में प्रसिद्ध है। भारत के उद्योगपति मुकेश अंबानी का नाम विश्व के जाने-माने उद्योगपतियों मे शुमार है| सुंदर पिचाई जो वर्तमान में गूगल के सीईओ के पद पर कार्यरत है| माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के चेयरमैन और सीईओ के पद पर कार्यरत सत्य नाडेला भारतीय मूल के निवासी है। ऐसे ही विश्व के कई क्षेत्रों में भारतीय प्रवासियों की उपस्थिति बढ़ रही है, जो विश्व के हर हिस्सों में किसी न किसी क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं तथा भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्थित सिलिकॉन वैली में भारत से आए बहुत सारे लोग काम कर रहे है। IFS स्नेहा दुबे संयुक्त राष्ट्र संघ के महासभा की पहली भारतीय सचिव के रूप में कार्य को संभाला।

वर्तमान स्थिति की बात कर तो भारत आज डिफेंस, अपनी मजबूत विदेश नीति और आर्थिक विकास की तेज गति से आगे बड़ रहा है| भारत स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता के मामले में दुनिया में चौथा, सौर में 5वां और स्थापित क्षमता के मामले में पवन में चौथा स्थान रखता है| भारत सड़क योजना में विश्व में दूसरे स्थान पर आता है। बौद्धिक संपदा में भी भारत का स्थान 8वें पायदान पर है। भारत विश्व में प्राकृतिक रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। दिल्ली विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय जैसे विश्वविद्यालयों की लोकप्रियता भारत समेत अन्य देशों में भी है। यहां भारत के साथ साथ विश्व के अन्य देशों से भी विद्यार्थी पढ़ने और शोध के लिए आते है। अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग के अनुसार डीयू क्यूएस ब्रिक्स विश्वविद्यालय रैंकिंग के तहत शीर्ष 10 भारतीय विश्वविद्यालयों में शामिल है। दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और उत्तर प्रदेश में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय समग्र रैंकिंग में नौवें और दसवें स्थान पर है। लखनऊ में स्थित शहर मोंटेसरी स्कूल “दुनिया के सबसे बड़े विद्यालय” के रूप में जाना जाता है। यह स्कूल ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में दर्ज है। भारत की सरकार और यह की जनता ने मिलकर भारत को एक नए रूपरेखा में ढाला। भारत को विश्व पटल पर एक नई पहचान दिलाई है और एक नव भारत का निर्माण किया है| आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी भारत को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास में कार्यरत हैं। 

अपनी विकासशील यात्रा में भारत ने कई मुश्किलों और निराशाओं का सामना किया है, परंतु अपनी सकारात्मक योजना और सोच से भारत इन मुश्किलों को हमेशा पार कर आया है,और अपनी विकास गति को धीमा पड़ने नहीं दिया। अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक गौरवपूर्ण सम्मान को बाहरी शत्रुओं से बचाने और पुनः स्थापित करने में अग्रसर रहा है,चाहे वह सामाजिक संकट हो या आर्थिक समस्या भारत हर क्षेत्र में अपनी वीरता और कुशल नेतृत्व किया है, तथा भारत और विश्व को इस भूमि में वीर शूरवीर व्यक्तित्व से परिचय करवाया हैं। विगत वर्ष में फैला वैश्विक समस्या से भले ही भारत की आर्थिक और सामाजिक गति थोड़ी कम हो गई है, परंतु भारत ने अपने सफल नेतृत्व और साहस से इस समस्या का सामना कर पुनः साबित किया है कि अभी भी भारत विश्व गुरु उपाधि धारण किए हुए है। कोरोना बीमारी से इतर अन्य समस्याओं को भी भारत ने चुनौतीपूर्ण ढंग से पूरा किया है, जिसमें समाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और वैश्विक समस्याएं समिलित है। अपने इसे सकारात्मक ऊर्जा और अग्रसर होने की आशा से भारत के पूर्ण विकसित देशों में शीर्ष पर स्थान होने के दिन दूर नहीं है। भारत पहले भी चुनौतियों को कुशलता पूर्वक नियोजित तरीकों से हल करता आया है, और आगे भी इसी कुशलता से आने वाली या पूर्व चुनौतियों को उपलब्धियों में परिवर्तित किया जाएगा।

 

 

 

 

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