Page 15 - Cafe Social Covid Special3 2020
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Cafe Social                                                                                                                          #stay@home_edition 03


     From the Wall of Inbook




     #Invincible Indian Army ( अपराजेय भारतीय सेना)          #मुझे  शकायत है

                                                               मुझे  शकायत है सरकार से !
    D  G     &     a l l     r a  n  k  s       s  a l  u  t  e     s  u  p  r  e  m  e    s a  c  r  i f  i  c  e     o f
                                                               ऐसा लग रहा है  क देश म   सफ    मज र ही रहते ह ....बाक   या भटे
    C o  n  s  t  a  b l e     J  i  a  u  l     H a  q  u  e     a n  d     C o  n s  t  a b  l e     R  a  n a
                                                                                                          !मज र
    M o  n d  o l  .
                                                               बघार रहे ह ?अब मज र  का रोना- धोना बंद कर द  जये
    T  h  e  y    w  e r  e     i  n  j  u  r  e d  ,     l  a  t e  r     s  u  c  c u m  b e  d     t  o    i  n  j  u  r  i e  s
                                                                             ..उसके   प रवार के
                                                               घर प ंच गया तो              पास मनरेगा का जाब काड    ,
    w  h  e n    t  h  e  y    r  e  c  e  i v e  d     f  i  r e     b y     t  e  r  r  o  r i  s  t  s     w  h i  l  e    o n
                                                               राशन  काड   होगा  सरकार  मु त  म   चावल  व  आटा  दे रही  है  ।
    R  O  P     d  u  t  y     i n    G  a  n  d  a  r  b  a  l    d  i  s t     J  &  K  .     S  a l u t  e     t  o  !
                                                                                       2000   .  भी   मल  गए  ह गे,और
    b  r  e  a  v  e     h  e a  r  t s     f o  r     t  h  e  i r     s  u  p  r  e m  e   s  a c  r i  f i  c e  .
                                                               जनधन  खाते  ह गे  तो  मु त  म

                                                               आगे भी  मलते रह गे।ब त हो गया मज र- मज र अब जरा उसके
    J  a i     H  i  n  d
                                                               बारे म  सो चये.. जसने लाख   पये का कज  लेकर  ाइवेट कालेज
                                                               से इंजी नय र ग  कया था  ..और अभी क नी म   5 से  8 हजार क
                                                               नौकरी  पाया  था   (मज र   को   मलने  वाली  मज री  से  भी  कम),
                                                               ले कन  मजबूरीवश  अमीर   क   तरह  रहता  था।  बचत  शू य  है)
                                                                                                    (
                                                                जसने अभी अभी नयी नयी वकालत शु  क  थी  ..दो  -चार साल
                                                                                             -चार साल के    ..चार
                                                               तक वैसे भी कोई के स नह   मलता   ! दो     बाद
                                                               पाच हजार  पये महीना  मलना शु  होता है, ले कन मजबूरीवश
                                                               वो भी अपनी गरीबी का  दश न नह  कर पाता,और चार छ: साल
                                                               के बाद.. जब थोड़ा कमाई बढ़ती है, दस पं ह हजार होती ह  तो

                                                                               ..कार वार खरीदने क  मजबूरी आ जाती है।
                                                               भी..लोन वोन लेकर
                                                               (बड़ा आदमी  दखने क  मजबूरी जो होती है) अब कार क   क त
                                                               भी तो भरना है  ?- उसके   बारे म  भी सो चये..जो से स मैन  , ए रया
                                                               मैनेजर का तमगा  लये घूमता था। बंदे  को भले ही आठ हज़ार  पए
    #  R  e  m  e b  e  r  K  a  r  g  i  l                    महीना   मले,  ले कन  कभी  अपनी  गरीबी  का   दश न  नह    कया।
                         a
    #  L  e  s t  W  e  F  o  r  g  e  t  I  n  d  i     #  O n  T  h i  s  D  a  y    2  1     M  a y     i n
                                                                                                 ,  से स  एज ट  बना
                                                               उनके बारे  म   भी  सो चये  जो  बीमा  ऐज ट

    1  9  9  9 , #  I  n  d i  a n  B  r  a v  e     L  t     K  a n a  d     B  h a  t  t  a  c  h a  r  y  a
                                                               मु कु राते  ए घूमते थे। आप कार क  एज सी प ंचे नह   क कार के
    #  S  e n  a  M e  d  a  l ,     m  a  d e     t  h e     s  u  p  r  e m  e     s  a  c  r  i  f  i  c  e
    f  i  g h  t i  n g    P  a  k i  s  t  a  n  i     t r  o  o  p  s     o  n    a    n o  r  t  h  e a  s  t e  r  n  लोन   दलाने  से  ले  कर  कार  क    डलीवरी   दलाने  तक  के  लये

                                                                                          , आपके   सामने हा जर। बदले
    r  i  d  g  e     n  e  a  r   #  T  i g e  r  H  i l l     T  r i  b u t e     t  o   B  r  a v e  H  e  a  r  t  .
                                                               मु कु राते  ए   , साफ सुथरे कपड़े म
    J  a  i   H  i n d
                                                               म  कोई कु छ हजार  पये  ! ले कन अपनी गरीबी का रोना नह  रोता

                                                               है।आ म  स मान  के साथ  रहता  है।  म ने  संघष   करते  वक ल,

                                                               इंजी नयर,  प कार,  ऐज ट,  से समेन,  छोटे -  मंझोले   कान  वाले,
                                                                लक  बाबू,   कू ली  माटसाब,  धोबी,  सलून  वाले,  आ द  देखे  ह
                                                                    ,
                                                               ..अंदर  भले  ही  चड़ढ -  ब नयान  फट   हो,मगर  अपनी  गरीबी  का
                                                                दश न नह  करते ह  ।और इनके पास न तो मु त म  चावल पाने

                                                               वाला राशन काड  है , न ही जनधन का खाता , यहाँ तक  क गैस क
                                                               स  सडी भी छोड़ चुके   ह   ! ऊपर से मोटर साइ कल क   क त  , या
                                                               कार क   क त  याज स हत देना है। बेट - बेटा क  एक माह क
                                                               फ स   बना   कू ल  भेजे  ही  इतनी  देना  है,   जतने  म   दो  लोग   का
                                                               प रवार आराम से एक महीने खा सकता है  ,परंतु गरीबी का  दश न
                                                               न करने क  उसक  आदत ने उसे सरकारी  कू ल से लेकर सरकारी
   #क वताय  (Kavitayen)
                                                                                                         ,
                                                               अ ताल  तक  से   र  कर   दया  है।  ऐसे  ही  टाई प ट   टेनो   ,
                                                                रसे स न ट  ,ऑ फस बॉय जैसे लोगो का वग  है।अब ऐसा वग   या
                                                               करे? वोतो...फे सबुक पर बैठ कर अपना दद   भी नह   लख सकता
   Opens the Door 
                                                               है  (बड़ा आदमी  दखने क  मजबूरी जो है) तो मज र क   ासद  का

                                                                वषय मुकाम पा गया है..मज रो क  पीढ़ा का नाम देकर ही अपनी
   Just   as   the   light   sunshine   brushes   my   window   on   a   winter
                                                               पीढ़ा      कर  रहा  है   ?   ( या  पता  है  हक कत  आपको?   IAS   ,
   morning,
                                                               PSC का सपना लेकर रात- रात भर जाग कर पढ़ने वाला छा  तो
   She came in my life like a storm of love without any warning!
                                                               ब त  पहले  ही   द ली  व  इंदौर  से  पैदल   नकल   लया  था..अपनी
   Her eyes shining like the mist on the grass in my garden,
                                                                              ..मज र  के वेश म ?  यूं वो अपनी गरीबी व
   Innocence such genuine that any crime I can pardon!
                                                               पहचान  छपाते  ये
                                                               मजबूरी क   कान नह  सजाता! काश!  क देश का म यम वग  ऐसा
   My life is like inundating waves and she is like the shore,
   I will wait for her daily in my home as she opens the door!
                                                               कर पाता?

                                                                                                                           Posted by संजीव जैन
                                                                   Posted by Dhananjay Jhala
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