सलवटे मलबूस (बिस्तर) की, आँखों में बदन की भूख, क्या सिर्फ टुकड़ा-ए-गोस्त ही थी मैं? शक सुवहा, वासना से मिले…
Read More »मेरी कलम से
जो भटका हूं मैं खुद अपने शौक से, कोई और ज़िंदगी का रास्ता ना दिखाओ मुझे तुम बेतरतीबी में अपनी…
Read More »इतवार करै धनवन्तरि होय, सोम करै सेवा फल होय।बुध बिहफै सुक्रै भरै बखार, सनि मंगल बीज न आवै द्वार।। भावार्थ-…
Read More »है यह संस्कृत की पुत्री पर सींचित हुई सभी से कभी दक्षिण से कभी उत्तर से कभी पूर्व से कभी…
Read More »आन बान है शान तिरंगा सबके मन को भाए सदा रहेगा ऊंचा झंड़ा देश का स्वाभिमान बढ़ाए
Read More »राखी का त्योंहार है,ये भाई बहन का प्यार है भारत के त्योहारों में,ये भाई बहन का त्योहार है ये भाई…
Read More »डी. के. सक्सेना((दीप-दर्शन) ग्वालियर म.प्र. घण्टियों का ये शोर मुझे जँचता नही । पतित पावन यहाँ कोई दिखता नही ।…
Read More »फूलों की माला सेफूलों की चादर तक का सफर कितना हसीन, दिलकश और कितना करीब हुआ करता थासात फेरे, सात…
Read More »गज़ल तन्हा हूं इंसानी हुजूम में भी तन्हा हूं मुझे खुद पता नहीं कहां हूं। मुहब्बत करने की जुर्रत क्या…
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