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राजभाषा हिंदी का सम्मान २०२२ की पुरस्कृत कहानी: जीवन का अर्थ
समय अपनी निर्वाध गति से काल खंड पर अपने पदचिह्नों को छोड़ते हुए आगे बढ़ता रहा और माधव संतुष्ट भाव…
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व्यंग्य – जाति ना पूछो साधु की
ऐसा ही नजारा आजकल हमारे न्यायालय (कोर्ट) परिसर में दिखाई पड़ रहे है जहां आजकल न्यामूर्ति साहेब खुले आम चीन…
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इनबुक फाउंडेशन द्वारा आयोजित – राजभाषा हिंदी का सम्मान प्रतियोगिता 2022 – “द्वितीय पुरस्कार” विजेता कहानी “बैसाखी”
माँ के आँचल से लिपट कर रोती हुई वह माँ को कसकर पकड़कर लेट गई। रह-रहकर माँ बुदबुदाती रही हे…
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व्यंग्य – आज के अंगुलिमाल
आप सोच रहे होंगे तो इसमें इतना सोचने की क्या बात हैं? हमारा भारतीय समाज तो उपहार लेने और देने…
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- मेरी कलम से
मेरी कलम से; रूह – ए – कायनात
सलवटे मलबूस (बिस्तर) की, आँखों में बदन की भूख, क्या सिर्फ टुकड़ा-ए-गोस्त ही थी मैं? शक सुवहा, वासना से मिले…
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- हिंदी प्रतियोगिता
इनबुक फाउंडेशन द्वारा आयोजित – राजभाषा हिंदी का सम्मान प्रतियोगिता 2022 – “प्रथम पुरस्कार” विजेता कहानी “अधिकार”
प्रिंसीपल को छोड़कर पूरा स्टॉफ़ मिलजुलकर रहता था ।ईर्ष्या की आग में जलनेवाली मैडम उन सबका प्रेम से रहना उसे…
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शाश्वत ज्ञान – श्री मदन अग्रवाल
इतवार करै धनवन्तरि होय, सोम करै सेवा फल होय।बुध बिहफै सुक्रै भरै बखार, सनि मंगल बीज न आवै द्वार।। भावार्थ-…
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