मेरी कलम से
सक्षम, अहिंसक और वैश्विक वैभव का सांस्कृतिशाली देश।स्वाधीनता के अमृत काल के पावन अजेय काल में विश्व के सर्वाधिक आबादी…
Read More »मैं स्त्री हूँ ,काम से लौटकर, काम पर जाती हूँ।स्थान बदलते ही,नाम नया पाती हूँ।। सिर से लेकर पैर तलक,हर…
Read More »सरल होते हैं विचार मेरे जब अपनी बात में हिंदी में कहता हूंऔर लगे प्रिय मुझे यह जब हर शब्द…
Read More »प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के आज से लगभग 50 साल पहले के रचित अलग-अलग व्यंग्य लेखों से 20 लाइनें चुन…
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