वक्त का पहिया निरंतर चल रहा हैआज जो है वो कल बदल रहा हैवक्त का हमराज बनकर जो चला हैवह…
Read More »मेरी कलम से
मैं खुश हूं कि नहींतुम इस बात की परवाह मत करना पापा!अब अगर ख़ामोश हो भी जाऊं,तो हर बार की…
Read More »जब “मंजिल” से हुई, गुफ्तगू,हर “मोड़” पर “कश्मकश” थी,कभी काँटे लदे,कभी कंकड़ बिछे,“मजबूर” चलने को जिंदगी थी। तूफ़ां तो,कभी हवाओं…
Read More »शब्द तुम बोलते वक्त कहाँ चले जाते हो?समय पर मेरे काम क्यों नहीं आते हो?मैं निःशब्द – सी रिक्त हो…
Read More »सक्षम, अहिंसक और वैश्विक वैभव का सांस्कृतिशाली देश।स्वाधीनता के अमृत काल के पावन अजेय काल में विश्व के सर्वाधिक आबादी…
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