मेरी कलम से

कविता – मंजिल

जब “मंजिल” से हुई, गुफ्तगू,हर “मोड़” पर “कश्मकश” थी,कभी काँटे लदे,कभी कंकड़ बिछे,“मजबूर” चलने को जिंदगी थी। तूफ़ां तो,कभी हवाओं…

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कविता – शब्दों से शिकायत

शब्द तुम बोलते वक्त कहाँ चले जाते हो?समय पर मेरे काम क्यों नहीं आते हो?मैं निःशब्द – सी रिक्त हो…

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मेरी कलम से – खोऊं तो खोऊं क्या

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मेरी कलम से – राधा का मोहन

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मेरी कलम से – सियासत

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मेरी कलम से – समर्थ है शब्द

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मेरी कलम से – भला करो

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विश्व का सर्वाधिक आबादी वाला भारत देश

सक्षम, अहिंसक और वैश्विक वैभव का सांस्कृतिशाली देश।स्वाधीनता के अमृत काल के पावन अजेय काल में विश्व के सर्वाधिक आबादी…

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मेरी कलम सें – मैं स्त्री हूँ

मैं स्त्री हूँ ,काम से लौटकर, काम पर जाती हूँ।स्थान बदलते ही,नाम नया पाती हूँ।। सिर से लेकर पैर तलक,हर…

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मेरी कलम सें – हिंदी

सरल होते हैं विचार मेरे जब अपनी बात में हिंदी में कहता हूंऔर लगे प्रिय  मुझे यह जब हर शब्द…

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